शनिवार, 27 अगस्त 2011

सशक्त नागरिकता

- जैसे अडवानी , वैसे अन्ना -
एक का अनशन , एक की रथयात्रा ,
जाहे जिसका भी समर्थन करो
अन्ना खुश !
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- गलत फहमियाँ दूर की जाएँएम पी बनना भी बड़ी तरद्दुद और परेशानी काम होता हैअनशन पर बैठने से कम तकलीफ देह नहींनेतागिरी में सारा मलाई नहीं हैकबाब में हड्डियाँ बहुत हैंइसलिए केवल अपने महान होने भ्रम गलत है । ##

- सरकार के प्रति घृणा , सत्ता के साथ अराजकता दीर्घकाल में अच्छे नतीजे नहीं देगासत्ता ,शासन और राज्य एक न्यूनतम आदर हकदार होता हैइसी में जनता की भी भलाई हैआपाधापी में उसका ही हित मारा जायगाअगर उसना यह शर्त किसी के समक्ष नहीं रखी तो तमाम एल के तीन लोग , अरविन्द भूषन बेदी पुरी जन उसे नाचने लगेंगे ,और ऐसा नचाएंगे की उसका अपना आँगन टेढ़ा हो जायगा । ##

- जो सड़क पर नहीं उतर सकते चिल्ला चिल्ला कर नारे नहीं लगा सकते ,उनकी कौन सुन ने वाला है ? क्या इसकी कोई व्यवस्था है ,सरकार के अन्दर , सरकार के बाहर की संस्थाओं में ? ##

- अन्ना टीम जैसा कहाँ है कुछ ? अकेले अन्ना अनशन पर हैं , और बातचीत वे कर रहे हैं जो अनशन पर नहीं हैंक्या उन्हें अन्ना के समान ही अड़ने या समझौता करने अधिकार है । मेरे ख्याल से ऐसा नहीं होना चाहिए ,और बातचीत ,कम से कम सरकार से , तो केवल अन्ना की होनी चाहिए । ##

- सरकार भ्रष्ट है तो क्या आप सरकार हो जायेंगे ? सरकार बन ने के लिए कई और सीढ़ियाँ पार करना दरकार हैअपने सरोकार प्रकट करने ज़रूर आपको अधिकार है , पर अधिकार का व्यापार बनाना हमे अस्वीकार है । ##

- अन्ना का आदर किया जाना चाहिए पर सारे समर्थक अन्ना नहीं हैं , इसे भी माना जायभले इसका प्रचार अन्ना को टोपियाँ बहुत कर रही हैं । ##

- स्टार न्यूज़ कहता है कि यदि आप अन्ना का समर्थन करते हैं तो इस नंबर पर एस एम एस करेंउसमे यह कहीं नहीं है कि यदि आप समर्थन में नहीं हैं तो क्या करें ? यह मीडिया का भ्रष्टाचार है ,जो भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना के साथ है । ##

- लोकपाल क्या करेगा , उसकी एक झाँकी तो अन्ना जी अभी ही दिखा रहे हैं , जिससे सारा देश सहमा हुआ है । ##

१० - अन्ना तुम संघर्ष करो ,हम तुम्हारे साथ हैंलेकिन वे हैं कौन जो यह कह रहे हैं ? उनकी टोपियाँ तो बता रही हैं कि वे ही अन्ना हैंफिर वे किस अन्ना से संघर्ष करने को रहे हैं ? या तो हर अन्ने एक दूसरे पर संघर्ष ताल रहे हैं , या फिर उनमे से कोई अन्ना नहीं है ! ##

११ - अंत में एक फ़ालतू बात ख्याल आता हैआदमी व्यक्तिगत और पार्टी गत रूप से ईमानदार हो तो सदन के बाहर की शक्तियों को इतना आंदोलित होने कि ज़रुरत पड़ेयाद आते हैं कम्युनिस्ट पार्टी और उनके ज्यादातर लोगयदि वे अपने सिद्धांत दर्शन , अबूझ पहेलियों सी बहसें अपने भीतर सीमित रखकर अपने आचरण के बल बूते लोक राजनीति में उतरते ,तो वे एक अच्छा भ्रष्टाचारमुक्त शासन देश को प्रदान कर सकते थेइस भावना को सारी पार्टियाँ ग्रहण कर सकती है , और यदि वे अपने दरवाज़े भ्रष्ट सदस्यों और उम्मीदवारों के लिए बंद कर दें, तो यह फ़िज़ूल की अनुत्पादक बहस तूल पकड़ने पाए । ##

प्रेषक :- भ्रष्टाचार मुक्त सशक्त नागरिकता ( Corruptin free -Strong Citizenry)

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