सोमवार, 22 अगस्त 2011

मिसलेड जनता

कविता -
जनता हमेशा
मिसलेड होती रही है ,
जनता , इस बार भी
मिसलेड होने से
इन्कार नहीं कर रही है |
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जन भीड़ का क्या
वही तो दिसंबर को
अयोध्या में भी जुटी थी !
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क्या यह वही है ?
वह नहीं है तो क्या है ?
है तो भी मिसलेड,
नहीं है , तो भी मिसलेड.
Mis-leaders are
mis-leading the county.
चाहें प्रजातंत्र के रास्ते
चाहें भूख हड़ताल के रास्ते | ##

* - मकोका विरोधी भी जन लोकपाल के समर्थन में होंगे | क्या उन्हें अहसास नहीं है की यह बिल जन -मकोका के सदृश्य है ? ##

* - अब एक नई दादागिरी सामने रही है | भू -माफिया , कोयला -माफिया ,धन माफिया , बल माफिया .आदि से अभी निपटना बाक़ी ही है , की एक जन माफिया / जनांदोलन माफिया उभर कार सामने गया | यह नया एन गी मफिआगिरी बड़ा कष्ट देने वाली है | पूर्व में मैं इस आन्दोलन को सिविलियन कूप की संज्ञा दे चुका हूँ | ##

* - सत्ताधारी दल एवं इसके गठबंधन से अधिक , अब ज़िम्मेदारी विरोधी दलों के ऊपर पड़ी है | क्योंकि अब हमला केवल सरकार पर नहीं , स्टैंडिंग कमिटी पर गया है , पार्लियामेंट पर हो रहा है | देश भक्त अफज़ल गुरु सक्रिय हो गए हैं | हमला विरोधी दलों के बहस -विरोध के अधिकार पर आन पड़ा है | कुछ स्वयंभू संस्थाएं कानून निर्माता का अवतार अख्तियार कार चुके हैं , और साथ ही साथ विरोधी दलों की भी भूमिका का अधिग्रहण कार रहे हैं | ऐसी दशा में सरकार का किंकर्त्तव्यविमूढ़ होना स्वाभाविक है , पर इस स्थिति से देश को निकलना, बचाना विरोधी दलों की भी खासी ज़िम्मेदारी है | क्योंकि यदि सदन ही नहीं रहा , संसद की कार्यवाही ही नहीं रही तो फिर उनकी अपनी जिंदगी का क्या होगा ? वे कहाँ साँस लेंगे ? क्या वे अब भी केवल सरकार का विरोध करके अपना कर्तव्य पूरा कर रहे होंगे ? या इस मुद्दे पर लोकतंत्र के मूल्यों का साथ देंगे ? ##

*- ऐसे में सहसा ध्यान जाता है .बंगाल के कम्युनिस्ट काडर का ,और केंद्र सरकार की बेबसी का [जो कि लोकतंत्र के दबाव के कारण है , और यह शुभ ही है ] । वह यह कि रामदेव अपनी प्राइवेट सेना, अन्ना हजारे छद्म पूर्वक जनता की भीड़ का विशाल प्रबंधन कर सकते हैं , पर सत्ता धारी दल अपना रक्षक काडर नहीं बना सकता वह तो अलग , उसकी सरकारी पुलिस ने कहीं दो -चार डंडे ज्यादा भाँज दिए , तो उस पर आततायी होने का आरोप लगते देर नहीं लगेगी | और अगर कहीं इमरजेंसी लागू करना पड़ा ,तब तो गज़ब ही हो जायगाकांग्रेस के दूसरे गाल पर भी कालिख लग जायगी ,एक पर पहले से ही लगी हुयी हैसास बहू का किस्सा पूरा हो जायगाऐसे में क्या विरोधी दलों की और सभ्य समाजों की यह ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि वैसी स्थितियाँ देश में पैदा होने दें ?##

* - हाइकु कविता -

काम ज़रूर
हम कर रहे हैं
भले निष्फल । ##

* - मेरी मानसिक संस्था -
- निर्विवाद [No Quarrels Please]
- नई ज़िन्दगी [रोज़ एक , फिर फिर] ##

-- आपका , उग्र नाथ [बड़े भाई साहब] , ईदगाह ,L-V-L/185, Aliganj, Lucknow-24 [Mob- 09415160913]

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