Points to ponder :-
* बाबर, सावरकर में इतनी साहित्यिक- ध्वन्यात्मक समानता क्यों है ?
* हमने लोकतन्त्र का चुनाव किया था । आज़ादी के बाद लोकतन्त्र चुना था । हमें लोकतन्त्र ही चाहिए । Is the state succeeding or failing to provide ? सड़क पर सामान्यतः चलने, बोलने, लिखने पढ़ने में डर क्यों लगता है ? हम विश्वप्रसिद्ध दर्शन की किताबें घर में क्यों नहीं रख सकते ?
* संघ (भेंड़-बकरी झुंड) को एक intense प्रहार, इस पर करारा वार होना चाहिए, यदि कोई हिंदुत्व और हिन्दू श्रेष्ठता को बचाना, सभ्य हिन्दू राज्य को कामयाब करना चाहता है । यह तो भाई, मुल्क को जंगली बना रहे हैं । क्या यह शोक और चिंता की बात नहीं है ?😢
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