यह बात मुसलमान तो कहेगा नहीं । तो इसे यदि हम शूद्र, शुद्ध, श्रेष्ठ हिन्दू न कहेंगे तो कौन कहेगा ! - - कि सनातनी पाखण्डी हिंदुओं की न कोई नीति है, न नियम, न नैतिकता । यह कुछ भी अच्छे से अच्छा, बुरा से बुरा कर सकते हैं । या कुछ भी नहीं कर सकते हैं (अकर्म)।
कुछ भी, लेकिन किसी सिद्धांत के अधीन नहीं ।
तो फिर इसके राज्य का क्या रोना? कैसी शिकवा, क्या शिकायत ?
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