क्या तो विडंबना का चिंतन है या चिंतन की विडंबना ? कहना पड़ता है कि यदि बाबर नेअयोध्या में तथाकथित राम मंदिर तोड़कर मस्जिद न बनवाई होती तो क्या एक काल्पनिक नायक चरित्र, साहित्यिक आवतारिक पात्र का इतना बड़ा, ऐसा भव्य मंदिर बन पाता ?
कहीं भी तो इनका कोई आराध्य मंदिर परंपरा में दृष्टिगोचर नहीं है । तो क्या मंदिर निर्माण का मूल श्रेय बाबर को दिया जाय ? कैसी विडंबना है, न हाँ कहते बनता है, न ना कहते बनता है । 😢
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
सोमवार, 24 फ़रवरी 2020
बाबर को श्रेय
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