पेट पालना
ज़िंदगी की महती
आवश्यकता,
महान उद्देश्य है
ज़िंदा रहना ।
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020
बुधवार, 26 फ़रवरी 2020
राज्य जाय
भारत देश को सरकारी तंत्र से बाहर निकालना है । इसलिए मैं मानव हितैषी होकर भी कल्याणकारी राज्य के दंद फंद को हजम नहीं करता, क्योंकि इसी तरीके से राज्य अपना तख़्त पुख़्ता करता है, और फिर शोषण पर उतारू । तब मेरी नज़र राज्य के विलोपन, withering away of the state की ओर जाता है । यह न हो तो भी राज्य जितना भी कमजोर हो उतना ही अच्छा । इसीलिए मैं अरविंद केजरीवाल का भी ज़्यादा क़ायल नहीं हूँ!
एक सही वर्तनी हो तुम
कवितानुमा?
- - - - -- -
तुम मेरे नाम की
वर्तनी ग़लत लिख दो,
मेरे नाम के उच्चारण को
गालियों, तद्भव शब्दों से भर दो !
मेरे नाम की वर्तनी
सुगंधित हो जाएगी,
मेरे नाम का उच्चारण
महक उठेगा,
लेकिन तुम कोई नाम
लिखो तो सही,
कुछ बोलो तो सही !
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(उग्रनाथ)
घर से मस्जिद है बहुत दूर
बाबरी मस्जिद के लिए ज़मीन अयोध्या शहर से बहुत दूर दी गयी ।
कहते हैं बेग़म हज़रत महल ने पुराना हनुमान मंदिर अलीगंज के लिए भी ज़मीन दी थी । तब तो यह भी लखनऊ शहर से बहुत बाहर रहा होगा ?
सोचता हूँ , क्या यह सही हुआ ? क्या यह ज़रूरी था ? इससे सद्भावना बढ़ी, या धार्मिक अंधता और उन्माद ?
बशिष्ठ नगर
अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी बनाने के बाद अब हमारे नाम को भी बदलने की तैयारी हो रही है । हम अहसास बस्तवी अब अहसास बशिष्ठी हो जायँगे ।
लेकिन अच्छा हुआ हम पहले ही बस्ती से कटकर सिद्धार्थनागरी हो चुके थे । ☺️
विज्ञान चेतना अवरोध
Scientific Temperament
भारत में वैज्ञानिक चेतना का विकास न हो पाने, इसके अवरुद्ध होने का एक कारण मेरी समझ में आता है । वह है अस्पतालों की दुर्दशा, चिकित्सा के क्षेत्र का व्यापारीकरण, डॉक्टरी पेशे के व्यवसायीकरण, और डॉक्टरों का हृदयहीन छवि समाज में व्याप्त होना ।
साधारण जनता के सामने डॉक्टरों की जमात विज्ञान और वैज्ञानिकता की प्रतिनिधि के रूप में सामने आती है । और इन ख़ुदा और भगवान माने जाने वाले जनसेवकों की यह स्तरहीनता उन्हें विज्ञान विमुख करने में बड़ी भूमिका निभाती है । ऐसा मेरा आकलन, estimation है ।
मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020
वैकल्पिक बाबर
बाबरी मस्जिद नाम कोई रखेगा थोड़े ही । ख़ुद हिन्दू ही अपने आप इसे पुकारने लगेंगे । ऐसे कि यह बाबरी मस्जिद के विकल्प में बना है । यह गलती तो सुप्रीम कोर्ट ने की । मुस्लिम पक्ष ने इसकी demand तो की नहीं थी । मुकदमे पर न्याय के अनुसार इसे वहीं मिलना था । न्याय न मिला तो वैकल्पिक जमीन तो उन्होंने माँगी न थी । नहीं देनी चाहिए थी ।
सोमवार, 24 फ़रवरी 2020
बाबर को श्रेय
क्या तो विडंबना का चिंतन है या चिंतन की विडंबना ? कहना पड़ता है कि यदि बाबर नेअयोध्या में तथाकथित राम मंदिर तोड़कर मस्जिद न बनवाई होती तो क्या एक काल्पनिक नायक चरित्र, साहित्यिक आवतारिक पात्र का इतना बड़ा, ऐसा भव्य मंदिर बन पाता ?
कहीं भी तो इनका कोई आराध्य मंदिर परंपरा में दृष्टिगोचर नहीं है । तो क्या मंदिर निर्माण का मूल श्रेय बाबर को दिया जाय ? कैसी विडंबना है, न हाँ कहते बनता है, न ना कहते बनता है । 😢
रविवार, 23 फ़रवरी 2020
शनिवार, 22 फ़रवरी 2020
जीना
हर आदमी को जीने का हक़ है, और उन्हें ज़िंदगी के समान मुहैया कराने की ज़िम्मेदारी हमारी है ।
(नागरिक उवाच)
शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020
हिंसा में करुणा ?
हिंसा में भी दया, करुणा की आवश्यकता होती है :-
घर चूहों से परेशान था । दुकानदार की सलाह से चिपकने वाली चटाई ले आया । सुबह दो चूहे चिपके मरे पड़े मिले । फेंकने गया तो उनकी छटपटाहट की कल्पना से सिहर गया । यह तकलीफदेह हिंसा थी । एक हिंसा वह भी होती यदि उन्हें चूहेदानी में फंसाकर बाहर छोड़ता । यह हिंसा दयापूर्ण, करुणामय होती । ऐसा ख़्याल आया । यह नहीं कि हिंसा तो दोनो ही है, क्या फ़र्क़ पड़ता है ।
ऐसा ही कुछ फ़र्क़ जानवरों को जिबह करने में भी है । बयान और समीक्षा करना कठिन है मेरे लिए ।
महरूम
मुझे इस इस बात का मलाल है कि मुझे अच्छे आदमियों का साथ नहीं मिला, उनसे संपर्क नहीं हुआ, उनके साथ काम करने का अवसर नहीं मिला । तो, शायद मैं ही अच्छा आदमी नहीं था ।
गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020
मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020
अनुसरण
यदि हमारे पास पर्याप्त मस्तिष्क नहीं है, और ज़ाहिर सी बात है कि सबके पास नहीं होती, तो हमें किसी का अनुसरण करना पड़ता है । करना ही चाहिए । सिद्धांतविहीन जीवन नहीं जीना चाहिए ।
हिन्दू राष्ट्र
हमें यह स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है । बल्कि इसमें तो हमको ही आसानी है । हम निर्द्वन्द्व हो जायेंगे जो कि हम तमाम धर्मों के बीच नहीं हो पा रहे हैं । क्योंकि तब हम लेकिन केवल हिंदू राष्ट्र राज्य धर्म और संस्कृति की ही आलोचना धड़ल्ले से कर सकेंगे, किन्हीं अन्य धर्मों, मजहबों, संस्कृतियों की नहीं (हमें उनसे प्रयोजन ही क्या है हिन्दू देश में ) ? भारत के हिंदू राष्ट्र होते ही हम इसका अधिकारी हो जाएंगे और हिंदू इसका पात्र हो जाएगा कि वह हमारी आलोचना का शिकार बने । है न हमारी बात सही यदि हम मान लें कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है ? लेकिन तब फिर यह न कहिएगा कि "उनकी देखो" / "उनको कुछ नहीं कहते" । अरे भाई, अब उनकी क्या औकात ? तुम्हीं बोओ तुम्हीं काटो, तुम्हीं झेलो । बो तो रहे हो बबूल के पेड़ !😢
सोमवार, 17 फ़रवरी 2020
वेश्यावृत्ति
वेश्यावृत्ति का कोई विकल्प दिख नहीं रहा है ।
या, इसे यूँ कहें कि :-
वेश्यावृत्ति से निज़ात (मुक्ति, छुटकारा) का कोई उपाय नहीं दिख रहा ।
रविवार, 16 फ़रवरी 2020
शनिवार, 15 फ़रवरी 2020
दुनियावादी, दुनियादार नहीं
दुनियावादी (Secular, इहलौकिक, भौतिक- सांसारिक) तो मैं खूब हूँ । लेकिन दुनियादारी से बहुत दूर ! और चालाकी से तो मुझे सख़्त नफ़रत है ।
गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020
नास्तिक, भला आदमी
मुझे फ़ख्र है कि, बन भले नहीं पाया, लेकिन एक अच्छा मनुष्य बनने की कामना में मैं नास्तिक बना !👍👌💐
Rid of reigion
Valentine !👍WE ALL,
Everybody Loves Everybody, चुनांचे,
We get rid of our caste, creed, religion, masculinity, nationality etc,
The bondages of Humanity. ☺️💐
Valentine
Good gesture ☺️. Valentine, new year, chrismas का धूमधाम से मनाया जाना यह show करता है कि मनुष्य उत्सव के लिए धर्म देश etc की कोई सीमा नहीं देखता । अभी घण्टा भर पहले मैं विचार कर रहा था कि हम सेकुलर नास्तिकों को भारत में वह उत्सव मनाना चाहिए जो हमारे नहीं हैं, मतलब देश के प्रमुख धर्मों के नहीं हैं । हमें हिन्दू मुस्लिम त्योहारों के बजाय ईसाई उत्सव मनाने चाहिए ।
मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020
अरब में मंदिर
भैये, अब आप लोग बस मंदिर बनाने का ठेका लो । अरब में, अमरीका में, अयोध्या में, और दुनिया भर में । यह राज्य चलाने का हौसला छोड़ दो । तुमसे न होगा, तुम्हारे बस का नहीं यह काम ।
रविवार, 9 फ़रवरी 2020
असफलता
आप मेरी बात पर क्या चौंकेंगे नहीं, यदि मैं आपसे कहूँ कि मुझे अपनी असफलता से प्रेम है ? बल्कि मुझे इस पर नाज़ भी है । क्योंकि मैंने काम बहुत किया इसके सहारे । बहुत लिख डाला मैंने अपने मन की बातें । सफलता असफलता के द्वंद्व ने मुझे मेरे काम से रोका नहीं, कोई विघ्न व्यवधान नहीं डाला । सफलता की कामना ही मेरे मन में नहीं उपजी । मैं निश्चिंत चलता रहा, बेखबर, निर्द्वंन्द्व हाथ पाँव चलाता रहा । जब तक जिया सक्रिय रहा ।
मैं कहाँ
WE are our nationhood defined लिखकर उन्होंने तो अपनी राष्ट्रीयता define या पक्की तो क्या, राष्ट्र पर कब्ज़ा ही कर लिया । अब हमसे पूछते हैं तुम कहाँ के रहने वाले हो ?
चिंता विषय
Points to ponder :-
* बाबर, सावरकर में इतनी साहित्यिक- ध्वन्यात्मक समानता क्यों है ?
* हमने लोकतन्त्र का चुनाव किया था । आज़ादी के बाद लोकतन्त्र चुना था । हमें लोकतन्त्र ही चाहिए । Is the state succeeding or failing to provide ? सड़क पर सामान्यतः चलने, बोलने, लिखने पढ़ने में डर क्यों लगता है ? हम विश्वप्रसिद्ध दर्शन की किताबें घर में क्यों नहीं रख सकते ?
* संघ (भेंड़-बकरी झुंड) को एक intense प्रहार, इस पर करारा वार होना चाहिए, यदि कोई हिंदुत्व और हिन्दू श्रेष्ठता को बचाना, सभ्य हिन्दू राज्य को कामयाब करना चाहता है । यह तो भाई, मुल्क को जंगली बना रहे हैं । क्या यह शोक और चिंता की बात नहीं है ?😢
शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020
नीति विहीन
यह बात मुसलमान तो कहेगा नहीं । तो इसे यदि हम शूद्र, शुद्ध, श्रेष्ठ हिन्दू न कहेंगे तो कौन कहेगा ! - - कि सनातनी पाखण्डी हिंदुओं की न कोई नीति है, न नियम, न नैतिकता । यह कुछ भी अच्छे से अच्छा, बुरा से बुरा कर सकते हैं । या कुछ भी नहीं कर सकते हैं (अकर्म)।
कुछ भी, लेकिन किसी सिद्धांत के अधीन नहीं ।
तो फिर इसके राज्य का क्या रोना? कैसी शिकवा, क्या शिकायत ?
Individualism
Idea:-
Individualism / Individualist
*अकेला आदमी जो कर/ बन सकता है ।
*अकेले अकेले एकलव्य जन ।
*आदमी के अंदर का असल आदमी, जो हर दूसरे आदमी से अलग/भिन्न है ।
प्रार्थना
किसी ने पूछा - क्या तुम सचमुच ईश्वर की प्रार्थना नहीं करोगे ?
मैंने कहा - क्यों नहीं ? क्यों नहीं करूँगा ? मेरी मजाल कि मैं ईश्वर की प्रार्थना न करूँ ? - -
- - लेकिन अपने लिए नहीं । आपके पुत्र- पुत्री, परिवार की खैरियत के लिए ज़रूर ईश्वर से दुआ करूँगा ।
(उग्रनाथ नागरिक)
बुधवार, 5 फ़रवरी 2020
मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020
रविवार, 2 फ़रवरी 2020
आग मूते हैं
देशद्रोही था,
अ-नागरिक हुआ
तो क्या अचंभा !
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आग मूते हैं
आख़िर तो मरेंगे
सारे के सारे !
All मुस्लिम
क्या अद्भुत विडंबना है ! या दुर्भाग्य कहें भारत वर्ष का कि इसकी सारी नागरिकता मुसलमान से जुड़ गई है ।
हिंदू का आशय क्या? एंटी मुसलमान अब हिंदू की परिभाषा हो गई है, मुसलमान/इस्लाम की मुख़ालिफ़त हिंदुत्व हो गया है । Pro मुसलमान या Non practicing मुसलमान नाम हो गया है लोकतन्त्र समर्थक सेक्युलर जनसंख्या का (जिन्हें अर्बन नक्सल भी कहते हैं उपरोक्त हिन्दू)। और जो पैदाइशी मुसलमान हैं वह तो मुसलमान हैं ही । आशय यह कि भारत के किसी भी नागरिक (राजनीतिक मनुष्य) की पहचान मुस्लिम suffix/prefix OR anti/pro- मुस्लिम के बग़ैर पूरी नहीं होती । 😢
जीवन दान
लगे हाथ बाबरी ध्वंस के अपराधियों को भी छुटकारा दिला दें, गद्दी जाने से पहले । साध्वी को तो अभी लम्बी उम्र जीनी है, लेकिन बेचारे आडवाणी जी तो चैन से अंतिम साँस ले पाएँ !😢