मान गए । ज़रूर होंगे मुसलमान जालिम । ज़रूर किया हो सकता है इन्होंने ज़बरन धर्मांतरण कभी पूर्व में ।
लेकिन इन्होंने कभी गाँधी को नहीं मारा । किसी गांधी को नहीं मारा । सरहदी गांधी को भी नहीं । अब्दुल कलाम को कुछ नहीं कहा । और अभी भी मोहम्मद आरिफ़, शाहनवाज़, तारिक फ़तह को कुछ नहीं कह रहे हैं । कोई अपशब्द नहीं । तो, इससे क्या निष्कर्ष निकाला जाय ?
कोई अपवाद हो तो बताएं । मैं अपनी धारणा बदल लूँगा ।
(गांधी बलिदान दिवस पर विशेष)
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
गुरुवार, 30 जनवरी 2020
गांधी को नहीं मारा
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