मुझे डिमोक्रेसी से कुछ परेशानी हो रही है । इसमें नागरिक को बहुत सचेत, जागरूक रहना पड़ता है । हर समय देखते रहो, सरकार कुछ गड़बड़ तो नहीं कर रही है ? करे, तो फौरन घर से निकलकर धरना प्रदर्शन करो, गला फाड़कर चिल्लाओ, और पुलिस के डंडे खाओ, और जेल की हवा ।😢 हरदम सशंकित रहो । बिल्कुल Watchdog, कुत्ते की तरह ज़िंदगी ! ठीक से सोने को नहीं मिलता । और सोओ भी तो कुकुरनिंदिया । ज़रा सी आहट पर जाग कर चौथा खम्भा पकड़कर भोंको (कुत्ता और खम्भा हास्यपरक युग्म है 😢), मेरा मतलब पत्रकारिता से था । है न परेशानी की बात ?
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