सोमवार, 20 जनवरी 2020

बाबा नागार्जुन का "चूल्हा रोया"!

मैं इंदिरा जयसिंह की भाँति अपराधियों के मृत्युदण्ड से क्षमा किये जाने की वकालत करता हूँ, अलबत्ता उनका कृत्य जघन्य था । लेकिन उनकी फाँसी से यह अपराध समाप्त न हो जायेगा , धड़ाधड़ हो रहे हैं, कानून के बावजूद। इसका निदान कहीं और मसलन शिक्षा में है । वह तो ही नहीं रहा।
तो भी बहुत भुगता इन नासमझों ने 7 साल जेल में रहकर । पर्याप्त यातना सह ली । एक ने तो आत्महत्या कर ली, इन्हें भी अवसर मिलता तो कर लेते । इनकी भी पीड़ा समझनी चाहिए । जब 81 वर्ष के महाजनकवि नागार्जुन 7 साल की गुनगुन थानवी से कुछ कर सकते हैं तो उन लफंगों की क्या मानसिक, नैतिक हैसियत थी ? उन्होंने अपराध किया उन्होंने भुगता । मैं अपनी सोच में if-but लगाने वाला 'लेकिनवादी" नहीं हूँ । मैं मृत्युदण्ड और आँख के बदले आँख का विरोधी हूँ । इसलिए क्षमादान माँगना मुझे वाजिब लगा, तो लिख दिया । यूँ फाँसी देना, न देना मेरे हाथ में तो है नहीं । इन जीवों को मारकर जिन्हें खुशी हो उन्हें मुबारक़ । 😢
#चूल्हारोया

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