क्या वह है ?
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इतनी सदियों से
इतने तो मनुष्यों ने
राजा से लेकर रंकों ने
हिन्दू मुसलमान
यहूदियों ईसाइयों ने
साधु संतों देवी देवताओं ने
उसकी पूजा अर्चना की
दूध फूल पानी नारियल चढ़ाए
नमाज़ें कीं भजन गाये
उसकी शान में दुसाध्य रोज़े रखे ।
उस पर कुछ असर हुआ ?
पत्थर तो छोड़िए
वह तो पिघल जाता लेकिन
वह तो ईश्वर था
कहते परमेश्वर था ?
तो प्रश्न उठता है -
क्या वह है भी
या हम व्यर्थ ही - - - ?
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उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
गुरुवार, 1 मार्च 2018
क्या वह है
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