लगता है अब प्रेम और भाईचारा बहुत ज़्यादा उरूज़ पर आने वाला है । जब हिन्दू मुसलमान बिना किसी दावे के अपना अपना त्योहार मना लेते थे/ मनाने देते थे, बिना अधायी बिधायी, बिना एक दूसरे के त्योहारों में हस्तक्षेप के, तब मुहब्बत कम थी । अब तो राजनीति का भी काम हो गया है मोहब्बत फैलाना ! जय हो होली जी की ।
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