सोमवार, 5 मार्च 2018

कथनी करनी

मैं कम्युनिज़्म की तरह हिंदुत्व को भी बहुत महत्व देता था ससम्मान, इसके विश्व बंधुत्व की घोषणा के कारण । दुनिया के सारे मजदूर हमारे साथी के समानांतर संसार के सभी मनुष्य हमारे बंधु ! लेकिन अपने कुछ हिन्दू साथी, संघ, संगठन यहाँ तक कि विधि दर्शन के व्याख्याता मित्रों को इसकी आड़ में निकृष्ट विचार और कर्म पर उद्धत पाया तो हताशा हुयी । जिसे कुछ यूँ समझा जा सकता है कि जैसे मार्क्सवाद कहता कुछ है, नक्सलवादी करते कुछ हैं ।

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