यह हिंसा क्या चीज होती है ? इस नाम की किसी चिड़िया को हम नहीं जानते । और जब जानते नहीं तो हिंसा करेंगे क्या !
अलबत्ता हम अहिंसा से परिचित हैं । इसे बचपन से पढ़ाया जाता रहा है । अहिंसा परमो धर्मह । और अब इसका अर्थ भी समझ में आया ।
यह डाकुओं का सुरक्षा कवच है । लूटने वाले, शोषण अत्याचार करने वाले अपने संतों के माध्यम से जनता का कान भर देते हैं :- देखो , हिंसा न करना । हिंसा करना पाप है । अहिंसा ही धर्म है इसे धारण करो । तभी से हम अहिंसा को जानते हैं । हिंसा कहाँ जान पाए ?
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
सोमवार, 12 मार्च 2018
अहिंसा
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