सोमवार, 17 अगस्त 2015

Hindi Atheist - 8 , August,15 / 2015 Issue


Hindi Atheist - 8 , August,15 / 2015 Issue
Email weekly magazine : by - Ugra Nath @ Lucknow, U.P. (India)
-----------------------------------------------------------------------------------------
Title - संबंधों का विकास ही सभ्यता है !
=================================
1  - अद्भुत साहचर्य है दोनो धर्मों के बीच यहाँ !
यहाँ का हिंदुत्व मुसलमानों को इस्लाम में कोई परिवर्तन नहीं होने देगा ।
यहाँ का इस्लाम हिंदुओं में कोई सुधार नहीं होने देगा ।
कुछ भी कहिये तो
मुसलमान कहेगा हिंदुओं को संभालिये ,
कोई तरक्की की बात कहो तो
हिन्दू कहेगा हमको कहते हो
ज़रा उनसे भी कहकर देखो !

2 - माना जाना चाहिए कि मैं एक अजीब आदमी हूँ | अजीब का मतलब अजीब ही , अद्भुत और अनोखा नहीं |
मेरा अजीबपन आज इससे प्रकट होता है कि कहाँ तो मुझे उलझनों को सुलझाना चाहिए , और कहाँ मै सुलझी हुई बातों को उलझाता फिरता हूँ |
यथा , बिल्कुल सुलझी हुई बात है कि जानने को ज्ञान कहते हैं , न जानने को अज्ञान ! लेकिन नहीं , मैं कहना चाहता हूँ - न जानना ज्यादा बड़ा ज्ञान है , और जानना सबसे बड़ा अज्ञान |
उदहारण , ईश्वर को जानना ज्ञान होना चाहिए | Stop please ! यह सबसे बड़ा अज्ञानता का लक्षण है | जो जितना ही कहता है कि वह ईश्वर को जितना ज्यादा जानता है , वह उतना ही बड़ा अहंकारी और अज्ञानी है | मिथ्यावादी , असत्यवादी |
दूसरी तरफ वह कथित अज्ञानी है जो ईश्वर को नही जानता , और जाने बगैर उसे मानने से इन्कार करता है , मतलब नास्तिक है , वह बहुत बड़ा ज्ञानी है |
अतएव ,
नास्तिकता ज्ञान का स्वरुप है , आस्तिकता घोर अज्ञान है !
है न अजीब बात ? और अजीब बात हम करते हैं !

3 - एक युवा मित्र ने मित्रता निवेदन के साथ inbox में जो लिखा वह इतना स्वच्छ , स्पष्ट और ईमानदार था कि उसने मुझे अभिभूत कर दिया | सहर्ष , सप्रेम उन्हें मित्र बनाया | किसी ने ऐसा बोलने का साहस तो किया !
नाम बताने में कोई हर्ज़ नहीं है , न इसमें उनका अपमान | मुस्लिम नामधारी हैं - जनाब शफीक उर रहमान खां | वह लिखते हैं :-
" वैसे धार्मिक तौर तौर पर घोर नास्तिक हूँ मगर खान पान और रहन सहन में थोड़ा कल्चरल बायस आ ही जाता है | बाक़ी राजनीतिक तौर पर मुसलमान होना सच में मज़बूरी है | "
कितनी सच्ची बात की भाई ने, दिल खोलकर !
यह मज़बूरी हमारी और शायद सबकी है , भले वह सम्पूर्ण नास्तिक हैं | हम विवश हैं / हो जाते हैं / हो रहे हैं हिन्दू मुसलमान होने के लिए | यह विवशता तोड़ें , इस पर तो बाद में चर्चा करेंगे | अविलम्ब हमें यह मानना चाहिए कि हम बहुत बड़ी गलती पर हैं जो मुसलमान को मुसलमान और हिन्दू को हिन्दू मान लेते हैं ( मात्र नाम देखकर ही , यह बात अभी अलग रखें तो भी ! वह भी एक विवशता है उसकी ) |
और एक बार यह संदेह मन में बैठ जाय कि हिन्दू मुस्लिम नामधारी व्यक्ति बिल्कुल ज़रूरी नहीं कि हिन्दू मुसलमान हो ही , तो हमारा आधा काम पूरा हो जाय | समझें कि हिन्दू मुसलमान होना एक राजनीतिक मजबूरी भी है व्यक्ति की , वह वहाँ स्वेच्छा से नहीं है , और वह वहां खुश नहीं है |
बाकी रही बात राजनीतिक तौर पर हिन्दू मुसलमान होने की मज़बूरी मिटाने की
, तो वह भी हो जायगा जब ऐसे ऐसे सत्यनिष्ठ जन खुले दिल से , परस्पर प्यार और विश्वास का भाव लेकर एक साथ बैठेंगे | और इसका उपाय तो है , यह हम अच्छी तरह जानते हैं | याद है न वह आप्त वचन - यदि हम जान जायँ कि हम गुलाम हैं , तो हमारी गुलामी आधी समाप्त हो जाती है ?

4 - Islam is the way .
इस पोस्ट पर भाई कुछ भड़केंगे , यदि मैं कहूँ कि सारे रास्ते इस्लाम से होकर गुज़रते हैं | लेकिन यह एक निष्पक्ष विवेचन है |
जब भी आप कोई काम करेंगे , आपको इस्लाम का रास्ता अपनाना पड़ेगा | एक संगठन बनाइये , तो सबक लीजये इससे | वही सख्ती , वही निष्ठां , वही दृढ़ता दरकार होगी | इस्लाम की सांगठनिक गुणवत्ता और प्रबंधन से सभी परिचित है | पाँच वक़्त नमाज़ , जुम्मे की नमाज , ईद बकरीद और दिवंगतों के लिए त्यौहार , बुजुर्गों के प्रति उनकी भावना और व्यवहार , हिफाजत की व्यवस्था कि कुरआन कि सारी प्रतियां नष्ट हो जायँ और एक भी हाफ़िज़ जिंदा बचे तो हुबहू कुरान लिख ली जाय | इत्यादि -- सब अनुकरणीय ही नहीं श्लाघ्य है इनकी व्यवस्था | क्या समझते हैं सब ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए है ? जी नहीं , सब इस ज़िंदगी के लिए है , बिल्कुल practical , और दूरदर्शी , जिसका परिणाम हम देख रहे हैं |
यहाँ तक कि जिनकी कठोर आलोचना की जाती है , उन कथित इस्लामी अवगुणों को वही लोग अपनाते भी है | कुछ अपनी ओर से समीक्षा कीजिये | जिस हिंसकता , आक्रामकता , जड़ता का हम विरोध करते हैं , अपनी परी आने पर हम उन्ही को अपनाने की वकालत भी करते है | किसी भी हिन्दू मानस और संगठन को देख लीजिये | क्या वह वस्तुतः Hinduist है ? क्या वह इस्लामियत से वंचित है ? कह दें तो कटु हो जायगा , हिन्दू कि रक्षा के लिए बना ( अब तो एक अलग धर्म ) को वही तलवार उठाना पड़ा , जिसके लिए उनका आरोप था कि तलवार के बल पर इस्लाम फैला |
हम कोई आपत्ति नहीं कर रहे हैं | वह तो करना ही पड़ेगा | लेकिन कहना यह है कि फर्क कहाँ रहा ? क्या हम परोक्ष islamist नहीं हुए ? इसे स्वीकार करने में क्या हर्ज़ ? भय बिन प्रीत को चाहे हिन्दू नीति कहिये चाहे मुसलमान | जब भी आप कुछ निष्ठापूर्वक कुछ करने पर उतारू होंगे , आपको उसी रास्ते पर जाना होगा जिसे आप कहते हैं यह इस्लाम का दूषित और गलत रास्ता है | यूँ केवल हवाई बात करके आत्मसंतोष प्राप्त करना हो तो अवश्य गर्व से कहो हम हिन्दू हैं | निश्चयतः , हिन्दू जीवन का एक मार्ग है / होगा, लेकिन वह बचेगा कैसे ?

5 - जो भी जन इस मानसिकता से ग्रस्त होंगे कि हिन्दू मेरा धर्म है, इस्लाम उनका धर्म है ( or vice versa ) वह मेरी बात समझ , पचा नहीं पायेंगे | बहतर होगा वह चुपचाप उसे पढ़ लें | अनावश्यक टिप्पणी करके उसे बरबाद न करें |

6 - समरथ को नहिं दोष गुसाईँ
यह तो समझ में आती है जनता कि मजबूरी कि वह शक्तिशाली , बाहुबली , धनबली के समक्ष झुकता है | लेकिन ईश्वर के आगे क्या नाक रगड़ना जो अशक्त है , शक्तिहीन है ? उसका कोई वश चलता तो नहीं दीखता !

7 - मान लीजिये कोई पुलिस वाला या प्रशासक या न्याधिकारी राधे माँ का भक्त हुआ , तो वह उनके खिलाफ जांच क्या करेगा ? सज़ा क्या दिलाएगा ?

8 - मैं कभी कभी ब्राह्मणवाद को श्रेष्ठता का मार्ग , भले थोड़ा अहंकार मिश्रित , समझता हूँ | और उसमें कोई बुराई न मान सबसे कहता हूँ कि ब्राह्मण बनो | लेकिन , लगता है ऐसा है नहीं | यह केवल श्रेष्ठता के दंभ से ग्रस्त / पीड़ित होने की भावना नहीं है | इसका मूल है , मनुष्यों के बीच विभाजन , श्रेणीबद्धता | और वह भी जन्मजात अर्जित | भले कहते हैं कि कोई भी अपने कर्मों से ब्राह्मण या शुद्र बन सकता है , लेकिन इसके उदहारण तो सामने आये नहीं | तो ऊँच नीच का तफरका , भेदभाव और इसकी शास्त्रीय मान्यता , स्वीकार्यता इसकी असली परिभाषा है |
अब यह बात तो खैर गलत है ही !

9 - बात में दम है कि धर्म निजी मामला है |
secularism की परिभाषा का मूल प्रस्थान बिंदु है | किसी भी seminar में पहले इसका अर्थ " इह्लौकिकता, this worldly " के बाद यही कहा जाता है कि Religion is a personal matter .
इसकी व्याख्या अधिक न कर मुझे जो एक आसान उदहारण इसके समर्थन में मिला , उसे बताना चाहता हूँ |
मान लीजिये आप या मैं ईसाई हैं , या ईसाईयत से प्रभावित हैं | तो अपनी इस धार्मिक भावना और आस्था को दिल में छिपाकर ही रखना श्रेयस्कर होगा | क्योंकि यदि लोग जान जायेंगे कि आप ईसाई हैं तो वह इसका नाजायज़ फायदा उठाएंगे | आपको तंग करेंगे , क्योंकि उन्हें पता होगा कि आपतो उन्हें क्षमा ही करेंगे |
याद कीजिये ईसाई स्टेन्स को जीप में जलने वाली घटना | और उसके बाद उनकी ईसाई पत्नी ने जो कहा _ " हे ईश्वर इन्हें क्षमा करना , क्योंकि इन्हें नहीं पता ये क्या कर रहे हैं | "

10 - अभी हमारी एक महिला मित्र की बेटियों को आशीर्वाद देने के लिए एक कमेन्ट आया जनाब Mazhar Mudassir जी का :- " बेशक।अल्लाह सलामत रखें | "
है कोई इसके टक्कर की शुभकामना हम नास्तिकों के पास ?
होनी चाहिए | ईश्वर - अल्लाह की इतनी / इसलिए तो उपस्थिति होनी चाहिए !
आखिर ये मनुष्य के आविष्कार हैं |

11  - तो क्या निकट भविष्य में हिन्दू और मुसलमान की परिभाषा यह होने जा रही है , कि जो अल्लाह का नाम लेकर शुभकामना ( नमाज़ नहीं ) करे वह मुसलमान , और जो ईश्वर का नाम बोलकर आशीर्वाद ( पूजा नहीं ) दे वह हिन्दू ?
( मात्र यही अंतर रह जायगा सभ्य शिक्षित हिन्दू मुसलमान में ? )

12 - ( feeling depressed )   ऐसी स्थिति में मन में विचार आता है कि कोई तलवार लेकर अपना धर्म फ़ैलाने आये , या तोप चलाकर अपना साम्राज्य बढ़ाए ( like Islam & British, as it is said ) , उसका विरोध भी हिंसा है | क्योंकि वह भी मारकाट, खूनखराबा और युद्ध का कारण बनता है | अन्याय को थोड़ा सह जाना शांति में सहायक होता है | खींचते खींचते यह बात वहाँ तक पहुँचती है कि यदि न्याय का व्यवहार होता रहे तो अशांति और हिंसा की नौबत न आये !
यदि कौरव पाण्डवों को उनका  हिस्सा दे देते , तो क्या महाभारत बच न जाता ?


13 (a) - थोड़ा सा नमक रहने दो
थोड़ा सा शक्कर ,
थोड़ी नास्तिकता , तो
थोड़ा सा ईश्वर !

13 (b) - शायद ऐसा हो
कि ईश्वर मर जाए
और उसके चरणचिन्ह
रह जाएँ !
( feeling suspicious )

13 (c) - बच्चन का एक प्यारा गीत है हिंदी में =
पूछ मत आराध्य कैसा जब कि पूजा भाव उमड़े ,
मृत्तिका के पात्र से कह दे कि तू भगवान बन जा ।
आज तू इंसान बन जा ।

13 (d ) - ( The end ) = अंधविश्वासी भारत को राधे माँ से अच्छी माँ मिल ही कैसे सकती है ?

****************************************************************************
Honestly yours'
ugranath

यदि इसे प्राप्त करना आपको पसंद न हो, तो कृपया आदेश दें !
और यदि बराबर पाना चाहें , तो भी |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें