सोमवार, 10 अगस्त 2015

Hindi Atheist - 1 , July - 1 , 2015 Issue

Hindi Atheist - 1 , July - 1 , 2015  Issue
Weekly : by , Ugra Nath @ Lko
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Title  =  " अरे मनुष्य ! Oh, human being !  "
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1 -  ईश्वर ने आदमी बनाया
वह मर जाता है ,
आदमी ने ईश्वर बनाया
जो मरता नहीँ ।

2 -  कुछ कहने
बोलने बताने की
अभिलाषा
साहस - कर्मनिष्ठा
मनुष्य को
संत बना देती है ।
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3 -  वह कवि क्या
मतलब, सही कवि
जो संत न हो !

4 - सबसे बड़ा योगी और नमाज़ी तो है मजदूर |
काम मिल गया तो दिन भर में योग के सारे आयाम , व्यायाम , अष्टांग वैसे ही पूरे हो जाते हैं |
यदि काम नहीं मिला तो गाँव से मुंबई या पंजाब तक की यात्रा खड़े खड़े , उठते - बैंठते उससे तमाम नमाज़ पूरे अदा करा लेती है |

5 -  हम ईश्वर पर विश्वास नहीं करते । लेकिन वह दुबला पतला या हट्टा कट्टा ब्राह्मण चोटी बढ़ाये, चन्दन टीका लीपे, अड़बड़ गड़बड़ कोई मन्त्र जाप करते, घंटा हिलाते घड़ियाल बजाते, भले शिष्यों - श्रद्धालुओं को ठगते, मूर्ख बनाते सामने खड़ा है ,
वह तो मनुष्य है !
वह तो ईश्वर नहीं है ?
हम ईश्वर पर ही तो अविश्वास करते हैं ?

6 -  वह कहते हैं - हमारा धर्म शाश्वत है, सनातन है | हम नास्तिक भी कह सकते हैं - हमारा धर्म तो मौलिक है | मूल धर्म है हमारा ! बिना किसी मिलावट और बनावट के ! बिना किसी ईश्वर, देवदूत, देवता, नेता, ब्राह्मण, पुजारी, संत-महात्मा, गुरु के हस्तक्षेप के | हमारा कोई सीमित, दीवारों से घिरा मठ-मंदिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारा भी नहीं है ! क्षितिज है हमारी सीमा, धरती और आकाश | सम्पूर्ण सृष्टि, समूचा सृजन हमारा कार्यक्षेत्र है !  क्या नहीं ?  

7 -  यदि मैं मुसलमान होता तो तुम मुझे गले लगाते, यदि मैं हिन्दू होता तो तुम मुझे अपना मानते , यदि मैं बौद्ध होता तो तुम मुझे अवतारों के वंशज बताते, यदि मैं जैन होता तो तुम मेरा आदर करते, यदि मैं सिख होता तो तुम मेरी बड़ाई करते, यदि मैं ईसाई होता तो भी तुम मेरा नववर्ष मनाते |
अब मैं नास्तिक हूँ , तो तुम मुझसे घृणा करते हो ? कितनी असंगत बात है ? घृणित कारनामा ?    

8 -  मैं जाति वाति नहीं मानता |
अरे , तब तो तुम बड़े अच्छे आदमी हो ||
मैं छुआछुत नहीं बरतता ,
यू आर ग्रेट यार |
मैं काले गोरे, देशी-विदेशी, स्त्री-पुरुष
में भेद स्वीकार नहीं करता ,
तुम तो भाई महान व्यक्ति हो |
मैं गरीबी अमीरी का भेद मिटाना चाहता हूँ ,
यह तो बहुत अच्छी सोच है तुम्हारी |
मैं दुनिया में युद्ध का विरोधी हूँ ,
अरे आप तो संत महात्मा, महात्मा गांधी हो |
मैं किसी संत-महात्मा, देवी-देवता का अनुयाई नहीं हूँ ,
अरे, यह कैसे हो सकता है ?
मैं धर्म-वर्म को भी नहीं मानता,
तब तो गड़बड़ आदमी हो तुम |
मैं ईश्वर को भी नहीं मानता ,
अरे, क्या बात करते हो ? तुम तो निरा राक्षस आदमी हो |
चलो दूर हटो , भाग जा यहाँ से, अधर्मी कहीं का !
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9 -  उलट पुलट कर लंका जारी ।
आप एक विज्ञापन देखते होंगे जिसमें एक सीमेंट विशेष से बनी दीवाल में कील ठोंकते आदमी rebound होकर पीछे गिरता है ।
लेकिन ऐसा तो है नहीं कि उस दीवाल में छेद बनायीं नहीं जाती ! ऐसा हो तो भवन के कई काम रुक जाएँ और पक्की मजबूत दीवाल भी अप्रयोज्य हो जाए ।
उसमें छेद drill मशीन से किया जाता है । Electrician उसे कटर से काटता है । drill और cutter गोल गोल चक्कर में घूमकर उसे काटते हैं , इसलिए काट सकते हैं , काट पाते हैं । औंधे मुँह वे गिरते हैं जो सीधे वार से उसमे छेद करना चाहते हैं । जैसा आप विज्ञापन में देखते होंगे ।
ऐसा ही हम तर्कबुद्गि, नास्तिकता के प्रचार और अन्धविश्वास पर वार करने में तरीका अपनाते हैं । घूम घूम कर , गोल गोल चक्कर लगा कर चारो तरफ से हम वार करते हैं । कभी हँसी मज़ाक करके कभी तीखी बात कहकर ! कभी उनकी हाँ में हाँ मिलाकर , तो कभी उनकी ना में हाँ मिलाकर । हर तरह से , जिस भी तरह हमारा काम सिद्ध हो ।
जैसे हनूमान ने उलट पुलट कर लंका को जलाया था , कहा जाता है । आग लगाने वाले जानते हैं बिना उलटे पलटे फूस भी पूरी नहीं जलती । कहीं दबी रह गयी तो फिर परेशान करेगी ।

10 -  मुझे नहीं पता कि नास्तिकता धर्म है या नहीं, या कभी यह धर्म बनेगी या नहीं । लेकिन जब मैं इस काम में रत या लीन होता हूँ तो मुझे लगता है मैं कोई धार्मिक काम कर रहा हूँ । वही उत्साह, वही आनंद ! या यह कहूँ कि मुझे बिल्कुल नहीं लगता कि मैं कोई धार्मिक कार्य नहीं कर रहा हूँ, या कोई अधार्मिक काम कर रहा हूँ ।

11 -  ब्राह्मण यदि गरीब हुआ तो उसे संतोष तो रहता है कि चलो कोई बात नहीं , दर्ज़े में तो मैं उच्च हूँ , खाने को नहीं है तो क्या । फिर निर्धनता तो उसकी शाश्वत नियति है, वरदान है ईश्वर का । बाभन को धन केवल भिक्षा । गरीबी मेरे लिए अभिशाप, अपमानजनक नहीं है ।
लेकिन सामाजिक सम्मानविहीन दलित के लिए धन ही केवल उसकी संपत्ति है । इसलिए निष्कर्ष यह निकलता है कि
दलित को संपत्तिवान होना ही चाहिए ।

12 -  हर व्यक्ति बताता है मेरा इष्ट यह है , मेरे इष्ट यह हैं ।
मैं सोचता हूँ मुझसे पूछा जाय तो मैं क्या बताऊँगा ?
क्या स्वादइष्ट (Swadisht)  ठीक न रहेगा ?  ha ha ha !

13 -  छोटे सवाल -
      a - कितने लोग हिंदी में हस्ताक्षर करते हैं ?
      b - ATM पर chose language ( भाषा चुनिए ) में कितने लोग " हिंदी " चुनते हैं ?

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Honestly yours'
उग्रनाथ 

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