मंगलवार, 11 अगस्त 2015

Hindi Atheist - 5, July, 31 / 2015 Issue

Hindi Atheist  - 5, July, 31 / 2015  Issue   
Weekly : by , Ugra Nath @ Lko
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Title - सार सार को गहि रहे
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1 - सार सार को गहि रहे , थोथा देय उड़ाय ! =
गौर से देखिये तो यह नास्तिक ही है , जो धर्मों , धर्मग्रंथों , सत्वचनों में से काम की चीज़ ग्रहण करता है और थोथा उड़ा देता है | ऐसा करने का गुण और सामर्थ्य रखता है |
जब कि आस्तिक उन थोथों के साथ खुद ही उड़ जाता है |
2 - आस्तिक लोग ईश्वर को नहीं जानते । नास्तिक ईश्वर को जान चुका होता है ।
3 - आस्तिक होना पर्याप्त नहीं है । आपको बताना पड़ेगा - हिन्दू हैं या मुसलमान, तिवारी हैं या यादव जी, शिया या सुन्नी हैं !
नास्तिक के साथ ऐसी कोई मजबूरी नहीँ है ।
4 - ब्राह्मण को ही ब्राह्मण रहने दो , तुम न बनो ! 
देखने में आता है कि दलित भी , और पिछड़े तो खूब स्वयं और अपने बच्चों से पैर छूने की परंपरा का पालन करवाने लगे हैं ।
5 - ईश्वर को नास्तिक क्या जाने ?
तो लीजिये जवाब मित्र आदित्य निगम का =
किसी भी बात के आप विपक्ष में तभी हो सकते है जब आप उसके विषय में पूर्ण ज्ञान रखते हों ,इस कारण नास्तिक न केवल ईश्वर को जानता है अपितु भलीभांति पहचानता भी है । क्योंकि जब भी ईश्वर की बात आती है तब आस्तिकों के पास सिर्फ काल्पनिक बातों का ही सहारा शेष होता है ।
जैसे धरती को शेषनाग ने संभाला है अब आप ही बताईये क्या इक्कीसवी सदी के हम जैसे नास्तिक ..जो वैसे भी ईश्वर को नही मानते उनको इस तर्क से क्या आप आस्तिक बना सकते हैं लेकिन हम तो आपके ईश्वर को जान गये न ..---- !
6 - एक भाई ने आज हल्के में बड़ी गहरी बात कह दी |
वह मेरे एक चुहल भरे गंभीर पोस्ट पर उनका कमेन्ट था |
उन्होंने कहा - Newton के नियम apple , सेव पर लागू होते हैं , आम पर नहीं | 
कितनी सही और सूक्ष्म बात है | कोई धार्मिक नियम सारे मनुष्यों पर लागू नहीं होता | पुनर्जन्म हिन्दुओं का होता है , मुस्लिमों का नहीं | 
अच्छे कामों के लिए हूरों की व्यवस्था मुस्लिमों के लिए है , हिन्दुओं के वास्ते नहीं |
यही फर्क है विज्ञान और धर्म में | धर्म में विभाजन है , विज्ञान में एकता |
7 - नास्तिक का मतलब हम कोई चीज़ पहले से मान कर नहीं चलते | इसे बिल्कुल अविश्वास या नकारात्मक कैसे कह सकते हैं ? सारे लोग अपने जीवन में यही गुर अपनाते हैं | 
कोई आप से कह दे कि ठाकुरगंज का अपना पुश्तैनी मकान बेचकर नोयडा में फ्लैट ले लो , तो क्या आप फ़ौरन मान जायेंगे ? कोई कहे अपने बीवी बच्चों, नौकर चाकर की ठुन्कायी पिटाई किया करो तभी ये दुरुस्त रहेंगे | तो क्या आप डंडा उठा लेंगे ?
बस वही बात है | हमसे भी कोई कुछ कहता है तो सुनते हैं लेकिन प्रथम दृष्टया मान लें यह ज़रूरी नहीं | 
( इसलिए हम धर्म और ईश्वर के अवज्ञाकारी, गैरवफादार पुत्र- पुत्री कहे जाते हैं | काफ़िर, नास्तिक, वगैरह ! जैसे आजकल बूढ़े अपने पुत्रो को और सास तो अपनी बहुओं को चिरकाल से कहते आये हैं ) |
तो हम नास्तिक कहकर बदनाम किये जाते हैं | और यही काम जब आप लोग करते हो तो बुद्धिमान कहे जाते हो | " अरे भैया बहिनी बड़े होशियार हैं , सब काम सोच विचार कर करते हैं , उन्हें कोई धोखा नहीं दे सकता , कोई छल नहीं कर सकता ! "
तो यही तो हम करते हैं | नास्तिक हैं |
और आपकी सही सच्ची बात भला हम मानेंगे क्यों नहीं ? मानते ही हैं ! हम भी तुम्हारी तरह आस्तिक हैं ?
टोटल लोचा विवेकशीलता का है | और यह कोई नहीं चाहेगा कि वह, उसकी औलाद मुर्ख - अविवेकी हो , बस !
8  - Genius Spoiled
पूरा आश्चर्य करने की बात है, ( है तो हमारे लिए दुःख की बात , लेकिन हम अपनी व्यथा मन में गोय ही रखते हैं ) |
कि कितने सारे अनमोल, मूल्यवान महान बुद्धियाँ (great minds) धार्मिक किताबों और प्रवचन में अपनी प्रतिभा नष्ट कर रहे हैं !
क्या आप समझते हैं ज़ाकिर नाईक , गोविंदाचार्य वगैरह कोई मामूली हस्तियाँ हैं ?
लेकिन बस वही
Spoiled Genius !

9 - हम नास्तिक नहीं है | हम सृष्टि, सृजन, और प्रकृति के प्रति पूर्ण आस्तिक है |
लेकिन ,
आप हमें नास्तिक कहने लगे तो हम भी अपने को नास्तिक कहने लगे | फिर धीरे धीरे नास्तिक हो भी गये , और अब तो नास्तिकता पर गर्व भी करने लगे |
उसी प्रकार , जैसे 
आप हिन्दू नहीं थे | कुछ लोगों ने अपनी लडखडाती जुबान से सिन्धु को हिन्दू बोल दिया, तो आप भी अपने आप को हिन्दू कहने लगे | फिर आप हिन्दू हो भी गये | और अब तो हिन्दू होने पर गर्व भी करने लगे |
10 - श्री राम चन्द्र जी का तो नहीं जानता लेकिन ,
' जय राम जी '  कहना कतई सांप्रदायिक नहीं मानता !

कबीर ने और कुछ किया हो, न किया हो
सचमुच उनकी बातों का कोई असर तो समाज पर पड़ा दिखाई नही देता ,
न मस्जिद की अजान में कोई कमी आयी,
न मन्दिरों से मूर्तियाँ तिरोहित हुयीं
लेकिन उन्होंने धर्मान्धता के खिलाफ काम करने वालों को बड़ा सहारा दिया ,
उस बूढ़े की पीठ एक मजबूत मंच के मानिंद है
जहाँ से वह अपनी बात कह सकते हैं , आवाज़ उठा सकते हैं ,
भले उनके भजनों में राम हैं और वह रहस्यवादी आस्तिक ही हैं
लेकिन नास्तिकों को वह पूर्ण ग्राह्य हैं
और पाखण्ड विरोधियों को परम प्रिय !
कबीर , 
होते जायेंगे कबीर , कबीर और Kabir .

12 - (कहानी)
एक था कोई आदमी । मेरे जैसा ही बौड़म ।
उससे जब पूछा जाता तुम्हारा धर्म क्या है ?
तब वह बताता - " राजनीतिक ",
और जब पूछो
तुम्हारी राजनीति क्या है ?
बिना सोचे वह साफ़ बताता -
" धार्मिक " !
था न वह पक्का , उल्लू का पट्ठा ?

13 - ( Last ) - मैंने यह खोज निकाला है कि भाषा का सबसे सौम्य, शिष्ट और सभ्य शब्द है " अश्लील" जो अपने ऊपर सारे लांछन ओढ़, सहकर वार्ता को शुद्ध बनाये रखता है !
नहीं समझे न ? इसे एक उदाहरण से समझें । अखबारों में लिखा जाता है, सामान्य बातचीत में कहा जाता है - " वे अश्लील हरकत करते हुए पाये गए ।"
और रिपोर्ट एक तरह से पूरी हो जाती है | इसके स्थान पर यदि भाषा में यह "अश्लील" नामक शब्द न होता तो उस हरकत का पूरा वर्णन करना रिपोर्टर की विवशता होती । और सोचिये , तब क्या होता ? तब वे क्या करते हुए पकड़े जाते ? " | अश्लील " शब्द के भरोसे ही भाषा पवित्र बची हुई है । हा हा हा !

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Politically your's ,
ugranath

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