सोमवार, 3 जून 2013

Nagrik Posts 31 May 2013

* सरलीकरण से काम नहीं चलेगा | नाम लेकर इंगित करना पड़ेगा कि कौन धर्म
कैसा है ? आप हिन्दुत्व को निम्न कोटिक बताएँ, आप ऐसा कर सकते हैं | आपको
पूरा अधिकार है | लेकिन यह मेरा अधिकार होगा यदि मैं इस्लाम को अधिक जड़
और दकियानूस बताऊँ | या इस मायने में कोई खालसा पंथ का नाम ले तो उसे
इसका हक है | लेकिन बोलना पड़ेगा नाम लेकर | सरे धर्म एक जैसे हैं कहने से
समस्या पर लीपा पोती हो जायगी |

" जय बुद्ध - जय बुद्धि "
कल शाम मैं कलकत्ता [ मैं इसे ऐसा ही कहूँगा, नाम बदलू प्रवृत्तियों के
विरुद्ध ] पहुँच गया | नाती अब चलने लगा है | उसकी कुछ बदमाशियों का आनंद
लिया फिर बहू के हाथ का स्वादिष्ट (निश्चय ही वेज ) खाकर सफ़र की थकान के
कारण रात भर बेहोश सोया | सवेरे सवेरे ही एक विचार यह आया कि जो अपना
विरोधी हो, या विरोधी होने की संभावना में हो उसे खूब शिक्षित करो | तो
उसका दिमाग खुलेगा और समझदार होकर तुम्हारा सबसे बड़ा हितैषी बनेगा |
अशिक्षित, नादान होकर तो वह तुम्हारे विरोध में नुक्सान ही अधिक करेगा |
मुझे आंबेडकर जी का ख्याल आया | उन्हें किसी रियासत के प्रमुख ने विदेश
पढ़ने भेजने की और शायद अन्य प्रकार से मदद एवं व्यवस्था की थी | और
देखिये वह हिन्दू धर्म बल्कि भारतीय सांस्कृतिक आन्दोलन के कितने बड़े
हितैषी बने | उतने कि, व्यक्तिपूजक आस्थावान यदि बुरा न मानें { तुलना
करना मेरा उद्देश्य भी नहीं है } तो दयानंद - विवेकानंद जी से भी अधिक
उन्होंने हिन्दू धर्म पर उपकार किया | आज जो दलित चेतना में आप हिन्दू
विरोधी गुंजायमान देख रहे हैं वह सब कहने भर की उपरौछी बातें हैं |
वास्तव में इससे हिंदुत्व मजबूत हो रहा है अपने अन्दर जमा काई, खरपतवार
को साफकर, जलाकर | गौर फरमाने की बात है कि किसी आचार्य, शायद शंकराचार्य
[मैं यह सब याद नहीं रखता] ने भारत के चार कोनों में चार पीठ स्थापित कर,
जहाँ चार मठ हैं और शंकराचार्य गण विराजमान हैं, हिन्दू धर्म को
दकियानूसी और अंधविश्वास के गर्त में धकेला जो कि हिन्दू धर्म के हितैषी
थे और इसकी कथित संरक्षा के लिए उन्होंने यह सब किया, नतीजा = हिन्दू
धर्म स्थायी रूप से पंगु हो गया | बल्कि जड़ता ने अपने स्थापत्य और
मठाधीशी के ज़रिये भारत को चारो और से घेर कर गहराई तक जगह बना लिया जिसे
मिटाना हम rationalist आन्दोलनो के लिए असंभव नहीं तो अत्यंत दुष्कर होगा
| जब कि आंबेडकर ने इन सब पाखंडों का विरोध कर हमारा साथ दिया और बुद्धि
विवेक की नीव जिसे चार्वाक, बुद्ध, कबीर रैदास सरीखे संतों [मैं तो इसमें
गाँधी को भी शामिल कर सकता हूँ] मजबूत किया, हमारे काम को त्वरित गति से
आगे बढ़ाया | बिल्कुल तुलनात्मक चिंतन करके देखिये तो पता चलेगा कि शंकर
ने चार मठ बनाकर हिन्दू धर्म को महान और समुचित और ग्राह्य बनाया या
आंबेडकर ने Riddles of Ramayana लिखकर ? लेकिन यह सब गहराई से सोचने और
अध्ययन करने के लिए भी तो विकसित, स्वतंत्र बुद्धि चाहिए जिसे तो इसके
पंडितों और महंथों ने कुंद कर रखा है | जिसके चलते हमें दीखता है कि
आंबेडकर हिन्दू विरोधी थे और दलित आन्दोलन हिन्दू धर्म विनाशक | जब कि
वास्तविक स्थिति इसके पलट है | विरोधी प्रतीतिमान दलित आन्दोलन की ऊपरी
पर्त पर मत जाईये, न विचलित होईये, न घबराईये |
मुझे ख़ुशी है कि इस विचार के द्वारा आज मेरा प्रातः सफल हुआ | जो विरोधी
दिखे उसे एकाएक विरोधी न मान लो, वह तुम्हारा असीम हितैषी, परम मित्र हो
सकता है | हम भजन कीर्तन के शोर में भूल जाते हैं पर गुरुओं ने तो बहुत
पहले कह रखा है :- - निंदक नियरे राखिये - -  | अस्तु , जय विवेक , जय
बुद्धि , जय गौतम , जय बुद्ध ! =  " जय बुद्ध - जय बुद्धि " |

* ईश्वर पर विश्वास मत करो तो भी वह रहेगा | उसके साथ सख्ती से पेश आओ तो
वह ठीक ढंग से काम करेगा | ढीला छोड़ोगे तो उत्पात मचाएगा |

* जब कोई कहता है -
चाँद को देखो,
मैं तुम्हें देखता हूँ |

* [कविता ? ]   [ Bada Mangal ]
* जब हनुमान मंदिर आये ही हैं
तो थोडा आगे चलकर, चौराहा पार
साईं बाबा के भी दर्शन कर लें ,
और उससे पहले ही बाईं गली में
एक छोटा सा बहुत पुराना
शिवालय है , वहाँ चलें |
गोमती किनारे शनि मंदिर
और डालीगंज मनकामेश्वर
तो चलना ही है |
और सुनती हो !
प्रभु की कृपा से
मोटर गाडी तो है ही
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चन्द्रिका देवी और
सत्ती माई का चौरा भी
हो लेते हैं |
सरकार ने छुट्टी तो कर ही दी है
ऐसा मौका बार बार
कहाँ मिलता है ?


* दिन ब दिन
बिगड़ेगी हालत
सुधर कर |

* हाल एक [same ] है
इधर का भी और
उधर का भी |

* माननी होगी
नैतिक बराबरी
फर्क कुछ भी |

* किसी से नहीं
किसी से न कहना
जो बात हुयी |
[ हाइकू आसान न होता तो क्या मैं इतना लिख पाता ?]

* धोखे से श्री राम ने दिया बालि को मार ,
अगर पुलिस होते वहाँ, कर लेते गिरफ्तार |
[ जैसा मेरे भतीजे ने मुझे गाँव में सुनाया ]

* तिथि और तारीख [ दिनांक ] में भला क्या अंतर है ? क्या नयी पीढ़ी जानती है ?
[ तिथि चन्द्रमा की दशा है - शुक्ल पक्ष का दूज - - - पूर्णमासी / कृष्ण
पक्ष का - - चतुर्थी - - अमावस्या | दिनांक / तारिख तो यही है - आज २९ मई
२०१३ | जानती आप सब हैं , मुझे छका रही हैं | मैं जल्दी में हूँ कोलकाता
जा रहा हूँ | अपना ख्याल रखना | Nidhi Parveen ]

* बधाई हो ! जलाने जलाने से ही मनुस्मृति जिंदा रहेगी | जैसे होलिका दहन
से होली का त्यौहार |

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