शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

हाय ! क्या भ्रष्टाचार ?

* आज आपने
एक क्रांति में भाग लिया | 
आपके अन्दर 
क्या कुछ बदला  ? 
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* कवितानुमा

           धूम धड़ाका

तमाशा ही तमाशा
दीवाली में पटाखा
होली में खेल -खेली
जय माता दी
गणपति बाप्पा मोरिया
सब उत्सव
पसंद करता है यह देश 
हर दिन कोई व्रत ,कोई त्यौहार 
सारा वर्ष बड़ा 
उत्सव धर्मी है हमारा समाज |

कभी -कभी जे पी आन्दोलन 
मंहगाई के खिलाफ जुलूस 
भ्रष्टाचार के विरोध में अनशन 
कोई अपनी ज़िम्मेदारी नहीं लेता  
सब उत्सव धर्मिता का नतीजा है |

अब उत्सव तो फिर 
सिर्फ उत्सव ही हो सकता है 
कुछ बदलता नहीं 
ईद मिलन ,होली मिलन से 
क्या भाई चारा कायम हुआ ?
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* सन्दर्भ - Facebook
To Mr Satish Agrawal for his comment on Pankaj Chaturvedi status :-
            No sir,I am very serious,if you wish us to be really so. I ,spiritually ,can't be against corruption . Aap log is Bharteeya Devbhoomi ki aatma ko nahi samajhte.Jab tak Ayodhya me bhavya Ram mandir ka nirman nahi ho jata,Bharat se bhrashtachar nahi jayega.और हम बाबरी मंदिर बनने नहीं देना चाहते |
फिर भ्रष्टाचार कैसे समाप्त होगा ? Hindustan ko lok-kalankit karne wali BJP aur Narendra modi ydi Anna ke saath honge,to kya hum Anna ke saath honge? Ye topidhari Gandhivadi us samay kahan the jab Ram masjid giri thi ? Aur abhi bhi ve is mudde par kahan tashrif rakhte hain ?Unka kya stand hai? kya ve ispar jaan dene ko taiyar hain? Kya wh kam bhrashtachar tha?Aap ki nazar kahan hai ?Kya bhrashtachar sirf rupye-paise tak seemit hai?Kartavya-vimukhta , bina shram ki roti khana , kisi pad-pratishtha-puraskar keliye chhadm-aacharan karna etc kya bhrashtachar ki shreni me nahi aata?बल्कि हम तो इन्हें और बुरा समझते हैं | वह कहावत है न कि Wealth is gone,nothing is gone,health is gone something is gone,but character is gone everything is gone. तो जिन्होंने देश के चरित्र को ही धूल में मिला दिया और उनके खिलाफ अन्ना हजारे कुछ नहीं कर पाए या करना चाहे फिर वे हमारी नज़र में कहाँ ठहरते हैं?भोली -भली भीड़ तो उनके साथ इस  भ्रम में शामिल हुयी कि अन्ना भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं,और कुछ इस भय से कि शामिल न हों तो क्या भ्रष्टाचारी कहलायें ? [और यह अच्छा ही है कि ऐसी चीज़ से लड़ो जो कभी बिलकुल  समाप्त न होने वाली हो, | यह भली  प्रकार जानते हुए कि कितनी भी कमेटियाँ सर्वथा असफल ही होनी हैं,अतः जीते तो जीत है ,हारे तो भी जीत है | यदि भ्रष्टाचार समाप्त न हो तो अगला अनशन कार्यक्रम होना चाहिए की अन्ना को राष्ट्रपति बनाया जाय] जब कि असल में  अन्ना के बहाने कुछ महान लोग सरकार में जाने कि जुगत भिड़ा रहे थे | क्या आपको यह देखकर हँसी नहीं आनी चाहिए कि यही civil society कल  तक सरकार की इस बात के लिए आलोचना करते थे की वह महिला आरक्षण विधेयक नहीं पारित करा रही है,अब अपनी पारी आई तो पञ्च-टीम में एक भी महिला नहीं है,{जब कि न्यूनतम राखी सावंत और पूनम पाण्डेय ने अभी ही क्रिकेट मैच के दौरान अपनी देश भक्ति का पक्का सुबूत प्रस्तुत कर अपनी दावेदारी पुख्ता कर दी थी } | कितने दलित ,पिछड़े , मुसलमान  है इसे छोड़ दीजिये , अलबत्ता यह उनका ही बड़ा -बड़ा अजेंडा है ? क्या इस पर रुलाई नहीं आनी चाहिए कि अन्ना हजारे ज़रूर शामिल हैं क्योंकि वे उस गाँधी से भी महान  हैं,जिसने अपनी चेयर मैनी के लिए कोई अनशन नहीं किया | हमारा ख्याल है उन्हें इस बात के लिए आमरण  अनशन करना अवश्य वाजिब और देश हित में होता कि प्रधान मंत्री न नेहरु होंगे न जिन्ना ,बल्कि मैं हूँगा | तब न देश का बंटवारा होता ,न इतनी जानें जातीं , न कहीं भ्रष्टाचार होता |न हिंदुस्तान में न पाकिस्तान में | मेरा हक तो नहीं बनता पर एक पुराने अपनत्व के नाते चिंता जाता सकता हूँ कि पाकिस्तान में भी Mr Ten परसेंट का shasan है |बharhal  जो हुआ jitna हुआ,अच्छा हुआ | पर अब तो अन्ना के पञ्च तत्वों को देश के भ्रष्टाचार कि ज़िम्मेदारी तो लेनी होगी | वर्ना कहने को  संत  तो  मैं  भी कहाना चाहता हूँ जिसे  "कहाँ   सीकरी  सों  काम " | [उन्ना नजारे from Honesty International]
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