बुधवार, 20 अप्रैल 2011

कविता-अपने लिए

कविता
* नक्सलवाद है
उचित है  ,
बिल्कुल ठीक है
लेकिन बहुत दूर है
फिर हमारे किस काम का ?
हमारे लिए तो 
उनका होना - न होना बराबर  है
फिर हम उनका 
समर्थन  क्यों करें ?
दूर के ढोल 
हमें नहीं सुहाते 
हम तो यहाँ झेल रहे है 
अपराधियों - अधिकारियों की
गुंडागर्दी , अत्याचार 
माओवादी साजन करते  
वन -जंगल  की सैर 
हमको कर दरकिनार ,
कब आओगे पिया 
तुम्हारी प्रिया रही  पुकार |

       
* पढ़े वही जायेंगे
जो मशहूर होंगे 
जो पढ़े नहीं जाते 
वे आगे मशहूर होंगे |

  
* मेरा सारा लेखन
मेरे अपने लिए है ,
मैं अपने लिए सोचता ,
कविता करता हूँ |
धन्य हैं वे जो
समाज के लिए ,
राष्ट्र -राज्य के लिए
वैश्विक लेखन करते हैं ,
कर पाते हैं 
जिस कार्य के लिए 
मैं अपने को 
बिलकुल अयोग्य 
सर्वथा असमर्थ पाता हूँ |

---   [Individualism = निज वाद (न अहम् वाद , न व्यक्तिवाद ) ]
 [थोडा-थोडा आत्म वाद ] [ अपने द्वारा , अपने से , अपने लिए ]
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*जिंदगी रहेगी तो
कविता रहेगी ,
जिंदगी चलेगी
तो कविता चलेगी ,
कविता रुकेगी
महाप्रलय के भी 
थोडा उपरान्त ही |
उसके पहले नहीं |


*कवि होना
ज़रूरी है क्या ?
नहीं |
हाँ , ज़रूरी है 
कविता करना |


* समझ नहीं पाता
समझने की 
कोशिश करता हूँ | 


* उसी  रास्ते चलो 
तो सब लोग समझते हैं 
यह मेरा पीछा कर रहा है 
या यह हमारा 
पथ -प्रदर्शक , नेता बनना चाहता है
इसलिए  अलग चलो 
न किसी के पीछे ,
न किसी के आगे
यही विशिष्ट होगा 
और सटीक -
-तुम्हारा मार्ग |

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