कविता
* नक्सलवाद है
उचित है ,
बिल्कुल ठीक है
लेकिन बहुत दूर है
फिर हमारे किस काम का ?
हमारे लिए तो
उनका होना - न होना बराबर है
फिर हम उनका
समर्थन क्यों करें ?
दूर के ढोल
हमें नहीं सुहाते
हम तो यहाँ झेल रहे है
अपराधियों - अधिकारियों की
गुंडागर्दी , अत्याचार
माओवादी साजन करते
वन -जंगल की सैर
हमको कर दरकिनार ,
कब आओगे पिया
तुम्हारी प्रिया रही पुकार |
जो मशहूर होंगे
जो पढ़े नहीं जाते
वे आगे मशहूर होंगे |
* मेरा सारा लेखन
मेरे अपने लिए है ,
मैं अपने लिए सोचता ,
कविता करता हूँ |
धन्य हैं वे जो
समाज के लिए ,
राष्ट्र -राज्य के लिए
वैश्विक लेखन करते हैं ,
कर पाते हैं
जिस कार्य के लिए
मैं अपने को
बिलकुल अयोग्य
सर्वथा असमर्थ पाता हूँ |
--- [Individualism = निज वाद (न अहम् वाद , न व्यक्तिवाद ) ]
[थोडा-थोडा आत्म वाद ] [ अपने द्वारा , अपने से , अपने लिए ]
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*जिंदगी रहेगी तो
कविता रहेगी ,
जिंदगी चलेगी
तो कविता चलेगी ,
कविता रुकेगी
महाप्रलय के भी
थोडा उपरान्त ही |
उसके पहले नहीं |
*कवि होना
ज़रूरी है क्या ?
नहीं |
हाँ , ज़रूरी है
कविता करना |
* समझ नहीं पाता
समझने की
कोशिश करता हूँ |
* उसी रास्ते चलो
तो सब लोग समझते हैं
यह मेरा पीछा कर रहा है
या यह हमारा
पथ -प्रदर्शक , नेता बनना चाहता है
इसलिए अलग चलो
न किसी के पीछे ,
न किसी के आगे
यही विशिष्ट होगा
और सटीक -
-तुम्हारा मार्ग |
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