शनिवार, 20 जुलाई 2013

Rough Notes , 21 July 2013

Roughly , 21 July 2013

* वन्दे ही नहीं / गलत प्रार्थना है / जयहिंद भी !

*  " प्रगतिशील " / चला है साहित्य में / हाइकु में भी !

* होता ही क्या है / हासिल क्या होता है / प्रार्थनाओं से !

* वही जिंदगी  / जी करके दिखाओ  / गरीबों वाली ।

* जियो तो जानें / गरीबी की जिंदगी / तुमको मानें ।

* चुप हो जाओ / बड़ा मज़ा आता है / इस स्थिति में ।

* देखेंगे तो हम अख़बारों में छपे अभिनेत्री कैटरीना कैफ की ही फोटुयें । चाहे वह सूफी संत सलीम चिश्ती की मज़ार पर जियारत करती हुयी हों, चाहे इनकी उनकी फिल्मो में अर्द्धनग्न नाचती हुयी ।

* क्या योगा (योग ) द्वारा विदेशों में जमा काला धन स्वदेश नहीं लाया जा सकता ?

* प्यार व्यार कुछ नहीं होता , सब मन के खुराफात हैं । या तो कहिये , बलात्कार भी प्यार है !

* आम आम / दशहरी आम एक साधारण आम किस्म का आम हो गया है । चौसा खाकर देखिये , क्या अलग किस्म का स्वाद है !

* हिन्दू होना भी राजनीति है , और राजनीति तो करनी पड़ती है न भाई साहेब !

* कितना अच्छा लगता है जब हिन्दू साधु संत विचारक कहते - बताते हैं - ईश्वर अल्ला गॉड सब एक हैं । मन व्योम हो जाता है । {भला हो मौलवियों पादरियों का जो ऐसा कहने की गलती कभी नहीं करते, और कहते भी हैं तो राजनीति के तहत }
इतना ही होता तो कोई विवाद न होता लेकिन अवसर पर वही यह भी कहते हैं कि भारत हिन्दू राष्ट्र है, यहाँ सेक्युलर नहीं हिन्दू राज्य होना चाहिए {यहाँ तक कि NM = PM }, तब शोक होता है, क्रोध उपजता है । क्यों भाई अब अल्लाह के शासन में क्या परेशानी होने लगी ? ? 

* मेरे निकष पर आप सेक्युलर नहीं हैं , आपकी तराजू पर मैं सांप्रदायिक हूँ ।

* निस्संदेह राजनीति लोकप्रियता का राजा जनक-दरबार है । लेकिन क्या बहुत ज़रूरी है सीता का हरण या वरण करने के लिए सारी नैतिकता के धनुष तोड़ डालना ?

* रहता ही है थोडा टेन्सन तो ,
   चाहे कोई कारण हो, मत हो ।

Roughly yours' , ugranath



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