उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
गुरुवार, 19 अप्रैल 2012
है तो कैसे है
कहने को हमारे पास विधायिका, कार्यपालिका,
न्याय पालिका है पर इनका होना भी क्या होना है जब ये कुछ करते नहीं, अपना होना ,
अपनी सक्रियता सार्थकता सिद्ध नहीं करते , हम कैसे मान ले कि ये हैं..
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