गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

है तो कैसे है



  • कहने को हमारे पास विधायिका, कार्यपालिका, न्याय पालिका है पर इनका होना भी क्या होना है जब ये कुछ करते नहीं, अपना होना , अपनी सक्रियता सार्थकता सिद्ध नहीं करते , हम कैसे मान ले कि ये हैं..

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