बुधवार, 4 अप्रैल 2012

घड़ी

[कविता ]
* मेरी घड़ी कुछ दिनों से
ग़ायब थी
वह मुझे आज मिल गयी ,
घड़ी गायब हो गयी थी
लेकिन वह चल रही थी
उसने मुझे आज भी
सही समय बताया ।

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