उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
गुरुवार, 5 अप्रैल 2012
व्यंग्य
* हमारी सेना कितनी शांतिप्रिय है यह भी तो देखिये । वह किसी दुश्म्सं देश से लड़ने में विश्वास नहीं रखती , वह अपनी सर्कार से ही लड़ - भिड़ कर अपनी ऊर्जा शांत कर लेती है ।
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