सोमवार, 16 अप्रैल 2012

ओ मेरे (नीत्शे के ) मरे हुए ईश्वर !

ओ मेरे (नीत्शे के )  मरे हुए ईश्वर !  अब  तू  जिंदा हो जा और जाग. लेकिन इस बार तू खुद कुछ मत करना.  अब तू जन जन के मन ह्रदय में समा जा  जिससे वे जाग के कल्याण में अपने स्वयं के विवेक से लग जाएँ. 

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