[मुक्तक ]
देश का शुभनाम हिंदुस्तान है ,
राष्ट्र का हर व्यक्ति इसकी शान है ;
मातु -पितु -गुरु - बन्धु सब है देश अपना
देश अपना धर्म है , ईमान है ||
[तरही नशिस्त, बाराबंकी ]
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @