बुधवार, 20 जुलाई 2011

रक्त का सत्त्व

* [कविता ]
रक्त का सत्त्व
वीर्य तो दिया
अब क्या खून भी दे दूं ? #

* दलितों या पिछड़ों का भी इतना मन नहीं बढ़ाया जाना चाहिए की वे भी बढ़ते -बढ़ते ब्राह्मण हो जाएँ #

* संवैधानिक आदेश के अनुसार हम चमारों को चमार नहीं कह सकते लेकिन किसी सवर्ण व्यक्ति को तो उसके चमरपन के कार्य व व्यवहार के नाते चमार तो कह सकते हैं ? अब यह शब्द शब्द कोष से तो हट नहीं जायगा , चाहें इस नाम की कोई जाति हो या ना हो ##

* भले - भले का युद्ध तो कभी नहीं सुना गया और अभी तक हमने भले - बुरे का ही युद्ध सुना है अब भूल जाईये भले - बुरे का युद्ध अब सिर्फ बुरे और बुरे के बीच लडाई है और जारी है ##

* मेरे पड़ोस में एक नया घर बन कर तैयार हुआ है अब किसी भी दिवस मेरी अपने गाँव जाने की तैयारी हो सकती है क्योंकि किसी भी दिवस उस घर में गृह प्रवेश के उपलक्ष में अखंड रामायण या भगवती जागरण का कार्यक्रम आयोजित हो सकता है तमाम परेशानियों के बावजूद इन्ही विषम दिनों के लिए अपने गाँव का मकान मैंने व्यवस्थित कर रखा है ##

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