बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

आँतें

अब इससे ज़्यादा इस शरीर की सेवा करना मेरी ज़िम्मेदारी नहीं । इसका पेट भरना भर मेरा काम था । आँतें कुछ रोज़गार के लिए कुलबुला रही थीं, तड़प रही थीं । मैंने इनमें कुछ दाने डाल दिये, - लो चबाओ, पीसो इनको और चुप रहो । बस, इससे ज़्यादा नहीं । मुझसे यह न होगा कि मैं इसके लिए अच्छे कपड़े, कोई घर, कोई गाड़ी, कोई भली सी बीवी लाकर दूँ । दूँ, तब भी तो यह संतुष्ट न होगा । और और माँगता रहेगा । कहाँ तक मैं इसकी ख्वाहिशें पूरी करूँगा । इसलिए इसकी आँत भरने के अलावा मैं इसकी कोई ज़िम्मेदारी अपने सर नहीं लेता ।

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