रविवार, 6 फ़रवरी 2011

यह है समाजवादी


1 - जैसे समाजवादी चाहते थे। सड़क और संसद ( विधान सभा ) में कोई फर्क उन्होने नही छोड़ा राज्यपाल पर कागज के गोले बनाकर फेकते रहे। जब यह लोग संसद और संविधान की गरिमा की रक्षा नही करना जानते या नही चाहते हैं। तो ऐसी पार्टीयाँ देश और देशी की जनता की गरिमा की ख्याल कैसे रख पायेगी।    

2- यह जानना भी बहुत जरुरी है कि बाहर का कितना पैसा हमारे देश के किन-किन संस्थानों को प्राप्त हो रहा है। 

३ - यह समय हमारा [विज्ञानं  या स्सिएंस ] का नहीं है | हम असफल एक कोने में पड़े हैं , उपेक्षित ,अलक्षित , क्षीण शक्ति , अमान्य , 
अग्राह्य ,हीन भावना के शिकार |समय बाबाओं के अन्धविश्वास , साईं बाबा, टी.वी पर भजन , मंदिरों में भीड़ ,मदरसों के तालीम का है |    हम कहाँ हैं अपने hindustan   में ?
==================###विचार शिला

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें