सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

ब्राह्मण / आज़ाद औरतें

ब्राह्मण , महा सूचना अधिकारी
आर टी आई के तहत आजकल लोग सरकार के विभिन्न विभागों से सूचना मांगने पर तुले हुए हैं | साकार हीला -हवाली करती है और जनता उसे हलकान किये रहती है | इस चक्कर में कभी जनता परेशान होती है, तो कभी मारी -पीटी भी जाती है | ऐसा तब है जब हमारे समाज में तमाम सूचनाओं का भंडार पारंपरिक रूप से उपलब्ध है | ब्राह्मण के पास | वह केवल वर्तमान ही नहीं ,भूत और भविष्य की भी साड़ी बातें बता सकता है | सरकार कब बनेगी , कब गिरेगी, क्या करेगी ? सूखा , अकाल ,बाढ़ , आंधी -तूफ़ान ,प्रलय सबकी सूचना मिनटों में तैयार है |
यहाँ तक कि प्रश्न  कर्ता कब मरेगा , मर -कर स्वर्ग या नरक जायेगा ? पुनर्जन्म होगा तो किस योनि में वह पैदा होगा ? विवाह कब होगा , कितने वैध -अवैध बच्चे होंगे ,सबकी जानकारी उसे ब्राह्मण जी से मिल सकती है | मेरे विचार से लोग अनावश्यक दस रूपये सरकार को देकर सूचना की बाट जोहते हैं , एक रुपया और मिला कर पंडित जी के पास जाएँ तो बेहतर बातें वे जान सकते हैं | ##  
   
कहने के लिए आज़ाद औरतें
मेरे अनुभव में तो अपने आप को आज़ाद से आज़ाद कहने वाली औरतें बस कहने भर को आज़ाद हैं , वरना सचमुच तो वे आज़ाद नहीं हैं | मैंने तो इनमे से किसी को नहीं देखा कि वे किसी मर्द से साफ़ प्रस्तावित करती हों किसी शारीरिक -सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए जैसा कि मर्द जन करते हैं और इसीलिये  वे ज्यादा आज़ाद हैं | औरों का मन न मचलता हो , यह तो हो नहीं सकता , पर वही सामाजिक परंपरा , जिसे वे दकियानूसी नैतिकता कहती हैं , उन्हें बांधता है , और वे उसे निभाती जाती हैं सीता -सावित्री की तरह | कहने को कहती जाती हैं कि वे आज़ाद हैं | चलिए , हम भी मान जाते हैं क्योंकि ऐसी और इतनी ही आज़ादी तो पुरुष समाज उन्हें देना चाहता है | ##    







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें