* - मठ कहते हैं कि वे नागरिक को साहित्यकार नहीं मानेंगे | नागरिक की जिद है कि वह उनसे अपने को साहित्यकार मनवाएगा नहीं | ##
* - भूखे भजन न होय गोपाला , ले लो अपनी कंठी - माला | इस संवाद में ईश्वर का नाम तो है ,लेकिन यह सेकुलर दोहा कहा जायगा क्योंकि इसमें पेट की चिंता है , परलोक की नहीं |##
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें