हमारे नास्तिक मित्रों के बीच अध्यात्म कुछ अरुचिकर विषय है, ऐसा कुछ मुझे उनके साथ बातचीत से लगा ।।
मैं भी कोई पारलौकिक पौराणिक आध्यात्मिक नहीं हूँ । लेकिन जीवन में इसकी उपयोगिता का स्वयंसेवी हूँ । बात ज़्यादा बढ़ाएँ नहीं, तो अपनी सम्पूर्ण हार्दिक और मानसिक शक्तियों द्वारा अपने अहंकार से लड़ना, उससे मुक्त होने को मैं अध्यात्म कहता हूँ । क्योंकि और कोई मेकेनिकल तरीका तो है नहीं उसे दूर भगाने का ? और इस गुण से तो दुनिया बदली बदली, और अपनी मुट्ठी में आई लगती है । शायद मार्क्सवाद में भी इसकी नकार नहीं है ।
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
सोमवार, 22 जुलाई 2019
अहंकार स मुक्ति
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