मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

नागरिक पत्रिका 6 से 8 अक्टूबर

* हमें मुसलमान प्यारा है , इस्लाम नहीं |

* मजबूरी में ही सही | अब तो सिर्फ गाँधीवादी रास्ता ही बचता है | मारो , कितने मारोगे ?

* खादी बहुत बड़ा हथियार था | अब भी बन सकता है | और वही अंतिम उपाय होगा , गरीबी मिटाने का |

* यदि जातिवाद में कोई दम होता , तो कथित अछूत जाति की लड़कियाँ गज़ब की सुन्दर न होतीं !

* नास्तिक धर्मनिरपेक्षता क्या है ?
_ ग्रुप का About पढ़ें तो पता चल जायगा | फिर भी संक्षेपतः - नास्तिकता आधारित धर्मनिरपेक्षता , न कि धर्मों की लीपापोती और इन्हें - उन्हें खुश करने की राजनीतिक खेलबाजी | जिज्ञासा के लिए धन्यवाद |

* आस्तिक हैं | चलिए ठीक ! लेकिन यदि पूजा पाठी भी हैं तो समझ लीजिये गहराई में नास्तिको की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही स्वार्थी होंगे | धर्म स्वार्थपरक बल-बुद्धि तो बढ़ाता ही है ! आस्तिक जन सही कहते हैं की पूजा आराधना से निर्भीक स्वार्थ शक्ति बढ़ती है - हनुमान चालीसा पढ़कर देखिये | बल बुधि विद्या देउ मोंहि - - - :)

* लेकिन धर्म समाप्त कैसे हो सकता है ? वह भी उस मुल्क में जहां औरतों की प्राकृतिक मासिक को भी मासिक धर्म कहते हैं |

* कितने मशीन ?
गांधी ने हिन्द स्वराज में मशीनों के खिलाफ क्या लिख दिया की लोग गांधी से ही नाराज़ हो गए | लेकिन वह व्यक्ति भारत को समझता था | जैसे भारत के किसान फसल खेतों में कुछ ही समय काम करते हैं | शेष समय खाली रहते हैं | अब दो उपाय हैं - एक तो रोज़गार के लिए उन्हें उतने दिन के लिए शहर बुलाया जाय या उनके लिए रोज़गार गाँव में लाया जाय | पहला तो प्रयोग हो रहा है | नतीजा मलिन बस्ती , गाँव से शहरों की और पलायन, फिर गाँव का समाप्त होना | लेकिन इसके निराकरण के लिए फैक्ट्रियों को तो गाँव में शिफ्ट नहीं किया जा सकता | तब काम आता है गांधी | यदि खादी को लाया जाय | ऐसा चरण सिंह ने भी कहा था कि आंतरिक प्रयोग के लिए खादी और निर्यात के लिए फाइन कपड़े | इससे अर्थव्यवस्था सुधरती | लेकिन यहाँ तो कपडे क्या , पापड़ अचार आलू चिप्स , सब फक्ट्री निर्मित हो रहे हैं | और बड़े सहकारिता संस्थानों में | रोज़गार का विकेंद्रीकरण घर घर तक नहीं हो रहा है | ठीक है मशीनें ज़रूरी हैं लेकिन उसकी कोई सीमा है ? आखिर कितनी मशीने चाहिए ? अब तो सुना है हस्त मैथुन के लिए भी मशीन है ! तो फिर देश आत्म निर्भर कैसे हो सकता है ?

* हम खयाल -
Sex education के बारे में मैं रूसी शिक्षा क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी पावेल अस्ताकोव से सहमत हूँ | वह स्कूलों में इसके कट्टर विरोधी हैं | उनका कहना है कि इससे बच्चे बिगड़ सकते हैं | {ज़ाहिर है इसपर उनकी बड़ी आलोचना हो रही है , इधर मेरे बारे में एक मित्र ने कमेन्ट किया ही है कि उग्रनाथ बूढ़ा हो गया है :) } | लेकिन पावेल का कहना है कि कण्डोम और गर्भ निरोधक गोलियों को भुला कर अगर हम चेखव, टॉलस्टॉयऔर गोगोल की शरण लें तो बेहतर होगा | रूसी साहित्य में युवाओं के लिए बेहतरीन यौन शिक्षण के तत्व मौजूद हैं | कोई चाहे तो रूसी साहित्य से प्रेम और सेक्स के सभी पाठ पढ़ सकता है |"
[जब रूसी साहित्य का यह हाल है, फिर भारतीय वांग्मय का तो कहना ही क्या ! ]  

* [कथा नुमा ]
एक मुस्लिम औरत तहेदिल से खुदा से दुआ मान रही थी - " इन जेहादियों को अक्ल दे मौला , इन्हें सही रास्ता दिखा |"
नास्तिक ने कहा - " फिर वही गलती कर रही हो प्यारी अम्मा , उसी से मांग रही हो जो कहीं है ही नहीं ! उसी की तुम भी प्रार्थना कर रही हो जिसे सर्वमान्य मानकर,सम्मान्य स्वीकार कर वे आतंकवादी भी अपना काम कर रहे हैं, अपना मज़हबी फर्ज़ निभा रहे हैं ? "

* U. P. में अब तक बाल आयोग नहीं " - (NBT 6 /10 )
यह भी बन जाएगा ,जैसे अन्य आयोग वजूद में हैं | महिला आयोग , अल्पसंख्यक आयोग , दलित / पिछड़ा वगैरह | मेरे मस्तिष्क के अनुसार यह मांग भी उठनी चाहिए कि देश में एक " राष्ट्रीय सेक्युलर आयोग " भी बने | जो निरन्तर देश - प्रदेश की सरकारों पर नज़र रखे कि उनका कौन सा काम इस वसूल के खिलाफ है | मैं इसका अध्यक्ष बनने के लिए यह सुझाव नहीं दे रहा हूँ | यह सचमुच एक ज़रूरी मांग है , और राष्ट्र की आवश्यकता |

* जनरल वी के सिंह का कहना है सरकार सेना को मुक्त काम नहीं करने देती , तमाम बंदिशें लगाती है |
- भाई साहब अभी तो गनीमत है , गाँधी जी की चलती तो भारत की कोई सेना ही नहीं होती ( तो आप कहाँ होते) | फिर भी आपका दुःख समझ मी आता है | हो सके तो किसी प्रकार पड़ोस में पाकिस्तान चले जायँ | इससे एक तो आपकी फौज को वहां ज्यादा ताकत मिल जायेगी , दूसरे इस प्रकार प्रकारांतर से आपके मित्र नमो की सेकुलर छवि पक्की हो जायगी |

* ईश्वर इस देश के सबसे बड़ा भ्रष्टाचार :
आप लोग कुछ भी कहें कि भारत की दारुण दशा के यह - वह कारण हैं , लेकिन मुझे कुछ समझ में नहीं आता | कुछ लोग इसके लिए नैतिक , राजनैतिक , प्रशासनिक , आर्थिक भ्रष्टाचार को दोषी मानते हैं | वह भी मुझे सही नहीं लगता | मुझे तो बस एक ही बात समझ में आती है | यह कि ईश्वर इस भारत महादेश के सबसे बड़ा भ्रष्टाचार , भ्रष्टाचार का स्रोत है |

भारत एक सोमनाथ मंदिर :
इसलिए यदि भारत कभी भारतीयों के हाथ से जाता है तो उसका कारण इसका ईश्वर , इसकी ईश्वर के प्रति अंध भक्ति ही होगा | सोमनाथ मंदिर में भी ईश्वर जी ही तो लटके थे , और उनके पास अकूत संपत्ति थी , जिसके कारण लूटे गए ? और हुआ गुलामी का श्री गणेश !

मुझसे मित्रता के लिए कृपया कम से कम तीन कौड़ी के व्यक्ति ही निवेदन करें | धन्यवाद !

क्षमा याचना सहित अपना संदेह व्यक्त कर रहा हूँ | इस्लामी संगठन कश्मीर को भी ले जायेंगे | फिर तो हिन्दुस्तान अपने अंदरूनी विभाजनों , मतभेदों , स्वार्थ के झगड़ों से इतना कमज़ोर है कि  आश्चर्य नहीं यदि वे इसे भी ले जायँ ? पहले रहा नहीं क्या यह ? और यह गुमान उनको निस्संदेह अभी तक खाए जा रहा है |
अलबत्ता मुझे शक हुआ करे कि जब हज़ार वर्ष उनका राज्य चला तो फिर कोई मुसलमान क्यों गरीब रह गया , इतने समतावादी धर्म के अंतर्गत ? जिसके बारे में कहा जाता है कि हिन्दुओं में विषमता के चलते लोग धर्मान्तरित होकर मुसलमान बने | फिर आज इसका औचित्य क्या कि सच्चर कमिटी , कम्युनिस्ट और सेक्युलर कम्युनिटी को " हाय गरीब मुसलमान !" मुसलमान कहना पड़ रहा है ? PM को " राष्ट्र के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का " कहना पड़ गया | सपा सरकार को सिर्फ मुस्लिम लड़कियों के लिए तीस हज़ार का प्रबंध करना पड़ रहा है ?
बड़े मुश्किल प्रश्न हैं और मैं व्यथित हूँ |

आज के स्वप्न में आया विचार =
Walky Military , गश्ती फौज़ का गठन | पुलिस की ड्यूटी , फौज की शक्ति |
* यदि गर्भ धारण और उससे जुडी समस्याएं न हों तो मैं निर्भय , निश्चिन्त अपनी पुत्री को भी पुत्र की तरह ही आज़ादी दे दूँ !

* यह लो जी अब | मेरे प्रश्न मेरे सपनों में घुस आये | आज सपने में अंग्रेजी - हिंदी से इतर भाषाओं  के विकास का तरीका सोच रहा था | निदान निकला इन्हें भी आरक्षण मिलना चाहिए | इस तरीके से कि सेवाओं में भरती के लिए ज्ञात भाषाओँ की संख्या का भी वेटेज दिया जाय , अकादमिक प्राप्तांक से अलग | जैसे हमारे समय में पूछा जाता था - स्काउटिंग , NCC , खेलकूद में भागीदारी ? और इनसे नौकरी पाने की उम्मीद बढ़ जाती थी | इसी प्रकार उम्मीदवार जितनी अधिक भारतीय भाषाएं पढ़ना लिखना बोलना जाने उसे नौकरी में वरीयता दी जाय | तो काम बन सकता है | लेकिन इसे तो मैंने सपने में सोचा था | यथार्थ में कितना feasible ?

मेरे विचार से कोई सहमत हो या न हो........कोई फर्क नहीं पड़ता
"सेक्स और ईश्वर की भक्ति एकांत में करने की क्रियाएं हैं इनका किसी भी रुप से सार्वजनिक प्रदर्शन...अश्लीलता और व्यापार मानती हूं मैं" .....
 — feeling लाउडस्पीकर भक्ति नहीं बल्कि आपकी हैसियत का परिचायक है.
  • Ugra Nath यह तो आपने गज़ब की बात कह दी रंजना जी ! पूर्ण सहमति 

  • Ugra Nath और आश्चर्य नहीं , जब से धर्म सड़कों पर आया , उसी प्रकार तब से सड़क छाप प्यार भी बढ़ा | सार्वजनिक चिपटा - चिपटी , चूमा - चाटी ! आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं


* आसाराम बापू और उनके पुत्र पर दो लड़कियों ने 2002 के आसपास बलात्कार का आरोप लगाया है | तब वे लडकियां अपनी वर्तमान आयु से 11 वर्ष छोटी थीं | अब इस पर कुछ अंट शंट बोल दूंगा तो ठीक नहीं होगा न !

मेरा पसंदीदा दो अशआर = 
अगर मानव नहीं बदला , नयी दुनिया पुरानी है ;
कहीं शैली बदलने से नयी होती कहानी है ?

प्रगति के हेतु कोई एक पागलपन ज़रूरी है ,
तुम्हारे मार्ग में बाधक तुम्हारी सावधानी है |

* मेरा रावण
अधिक विशाल है
तेरे वाले से |

* कुछ छूटेगा
सभी संस्कृतियों का
कुछ बचेगा |

* दूरी रखना
एक ज़रूरी कला
प्रेमाचार में |

* मेरा शगल
निरुद्देश्य घूमना
चुप बैठना |

* तुम अपना
दिल चेक कर लो
बचा या गया ?

* जाना कहाँ है 
रहना तो यहीं है 
हर हाल में ! 

* फँसाने चली 
मकड़ी अपनी ही 
जाल में फँसी |

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