* ईश्वर अब
मनुष्यों का तो एक
आइकन है |
* लुटाना और
लूटना भी चाहिए
प्राप्तकर्ता को |
* भक्तों की भीड़
नहीं बचा पायेगी
राम , देव को |
* कहीं पहुंचा
अब कहीं पहुंचा
हूँ मैं आकर |
* आँख बदर
दिल बदर मैं हूँ देश बदर |
* चाहा था पर
अब तो नहीं चाह
बची है कोई |
* हर व्यक्ति का
शातिर दिमाग तो
होना चाहिए |
* अँधेरा कोना
है , जिसमे मैं हूँ
और ईश्वर |
* बोलते नहीं
हम किसी को दोस्त
आज़ादी प्रिय |
* स्वार्थ , परार्थ
मिल जुल कर हैं
खींचते पृथ्वी |
* प्रेम कम है
प्रेम का प्रदर्शन
बहुत ज्यादा |
*चीन जाते हैं
पुरानी हुयी बात
ज्ञानार्जन की |
* मैं सोता रहा
घड़ी चलती रही
वह न सोयी |
* मैं तो मैं हूँ ही
मैं अकेला नहीं हूँ
कहाँ रखोगे ?
*लोहा लेकर क्या करोगे ?
लोहे तो जंग
खाते हैं , लोहे जंग
नहीं करते |
मगर फूल
कभी न मुरचाते
सड़ जाते हैं |
पर मृत्यु को प्राप्त
तो सभी होते |
* सब का सब
सारा जीवन |
* इधर जाएँ
तो खाई , कुआँ है जो
उधर जाऊं |
* विज्ञानं का तो
कोई अंत नहीं है
न ही तर्क का |
* कैसा मन है
खाकर तो देखिये
घर का खाना !
* मैं जब तक
हूँ संशय विहीन
तब तक हूँ |
* जान दे दूंगा
फुरसत तो मिले
अभी तो नहीं |
* हम बौद्धिक
मूर्खों से मुखातिब
बे मुताबिक |
* आज तो कोई
अखबार न आया
तो खली बैठो |
* मुझे न मिला
अंधा बांटे रेवड़ी
तुझे न मिला |
*कल्पना शक्ति ,
आदमी का दिमाग
अन्यो न्याश्रित |
* समझदारी
खुल जा सिमसिम
खोल दिमाग |
*यह भी भाषा
डेली मर्रा का काम
कहते सुना |
*परेशान हूँ
सृजन शीलता से
कभी ख़त्म हो |
* रोज़ नहाना
ऐसी क्या ज़रुरत
पानी बहाना |
* दे देंगे पास
जगह मिलने दो
अभी जाम है |
* सेक्स के लिए
कौन शादी करता
धन के लिए |
* एक म्यान में
दो तलवारें आयें
तो भी न रखो |
* विकास काले
विपरीत बुद्धिश्च
विनाश काले |
* अर्थान्वेषण
आदमी के होने का
सदा अधूरा |
* फंसी रहेगी
औरत पवित्रता /
बलात्कार में |
* गिर जाएँ तो
उठने ki कोशिश
मर जाएँ तो
पैदा होने ki |* सो वाज़ द डे So was the day
Today I didn't
say any thing |
* समाजवादी
नारीवादी भी होगा
शूद्रवादी भी |
* कठिन धर्म
लोकतंत्र निभाना
व्यक्तिगत भी |
* हो गया पूर्ण
संशय विहीन मैं
संग विश्वास |
* मैं जब तक
सशंक , तब तक
खूब रहता |
* दुहराता हूँ
बार बार , तुमसे
करता प्यार |
ख़ुशी है मुझे कि मैं
हवाई नहीं |
* मार्निंग वाक
आमाशय निर्वात
दोस्तों से बात |
* वह बेचारी
वह भी तो बेचारी
सब बेचारी |
* झटके से ही
टूटेंगी रवायतें
गैर इंसानी |
टूटेंगी रवायतें
गैर इंसानी |
* पेशाब को भी
दीवाल का सहारा
चाहिए होता |
* पहले छोडो
कुछ पाने की इच्छा
तब न पाओ |
* भ्रमित ही हैं
हम जो क्रांतिकारी
हैं कहलाते |
* ऊँचे से ऊँचा
और ऊँचा ही ऊँचा
दिल करता |
* सरलता ही
मूल वैज्ञानिकता
सच्चाई यही |
* अंगूठा टेक
होना बेहतर है
कुपठित से |
* महासंबंध
शारीरिक संबंध
तब आत्मिक |
* एक तरफ
बेरोज़गारी दूजे
श्रमिक नहीं |
* प्रथम ध्यान
अपने काम पर
फिर चाहे जो |
* वह रोता है
वहां इंसानियत
है आदमी में |
*कुछ न कुछ
कमी लगी रहती
घर गिरिस्ती |
* माफ़ करना
हैसियत नहीं कि
बात करूँ |
* बहुत हुआ
तुम आओ तो आओ
या नहीं आओ |
* वह माता है
बकरे की कितनी
खैर मनाये ?
* नियम था तो
पालन हो भी गया
अन्यथा नहीं |
* विरोध दर्ज
करता हूँ अपना
तेरे विरुद्ध |
* सब कहते
तुम क्यों कहते
पीना छोड़ दो ?
*संयत करो
अपने आप को
विवेक आये |
*योजना बढ
कर्म प्रवृत्त हुआ
सफल हुआ |
* मेरा दुश्मन
मेरा हंसोरपन
हल्का बनाता |
* नहीं मिलते
नौकर ,ढूंढने से
साथी मिलेंगे |
*डर न होता\
कानूनी कार्वाई का
तो मर लेता |
*दुर्घटनाएं
दूसरे की गलती
से भी हो जातीं |
*किसी के साथ
नहीं रह सकता
मैं , मैंने पाया |
नहीं , सही तो हुआ
यही तो हुआ |
* पुरुषों को ही
अच्छा लगता है क्या
काम -कलाप ?
* सब सही है
पर पैसे की दोस्ती
नहीं जी नहीं |
* आँखों में देखो
तो आँख मार देगा
कोई पुरुष |
* रोना या रोना
स्त्री का मतलब है
केवल रोना |
* मिल पाने के
कोई आसार नहीं
अब सोता हूँ |
* लिखते जाओ
कोई फायदा नहीं
फिर भी है तो |
* कौन साथी है
हिम्मत के अलावा
भला दुःख में ?
* केवल सुनो
किसी की कोई बात
मानो तो गुनो |
* सोचता जाता
हाइकु बनी जाती
पूरी जिंदगी |
* कभी नहीं थे
इतने महान तो
आदमी लोग |
* लड़ जायेंगे
दिन इन चिकनी
पत्रिकाओं के |
* दादा हैं दादा
तो दादा की मर्यादा
निभानी होगी |
* बंधा हुआ है
शेर , चिंता न करो
पिंजरे में है |
* दकियानूसी
पकड़ मजबूत
परंपरा की|
* दिमाग तो है
लेकिन बहुत ही
शातिर वह |
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