सोमवार, 22 जून 2020

पाखण्ड पार्टी

पाखण्ड पार्टी?
(भारतवर्ष का सनातन अधिकार)
- - - - - - - - - - - - - - - -- - - - - - - - -- - --- - - - 
इसमें कोई शक़ नहीं कि "हम भारत के लोगों" को भारतीय दार्शनिक दिशा नहीं दे सके । कि धर्म का क्या रहना क्या फेंका जाना है?और godless spirituality भी कोई चीज है । धर्म सम्प्रदाय विहीन जीवन भी सम्भव है?  लेकिन यह पाखण्डी धर्मगुरुओं के वश की बात न थी, न है । इसका प्रणयन मार्क्सवाद के अनुसार ही सम्भव है । लेकिन मार्क्सवादी तो पहला काम यह करते हैं कि देश से बाहर चले जाते हैं । और यह भी नहीं कि क्यूबा से चेग्वेरा बनकर आते, पता नहीं कहाँ की बहस में फँस समय नष्ट करते हैं ।
अन्यथा बिल्कुल समीचीन था, यह उनकी तार्किक बौद्धिक क्षमता में थी कि वह Historical Materialism ऐतिहासिक भौतिकवाद की तरह Historical Spiritualism, ऐतिहासिक अध्यात्मवाद / प्रतिपादित करते । 
ज़मीनी स्थिति यह है कि नास्तिक भी कर्तव्य च्युत हैं, वामपंथ तो नास्तिकता के प्रथम step को भी ज़रूरी नहीं मानता, तो क्या खाक़ कुछ सोचेगा ? इनपर शोध करने के बजाय धर्म और अध्यात्म से ऐसा मुँह चिढ़ाते हैं मानो यह मनुष्य के विषय ही न हों, जब कि सबके सब धर्म योग में खूब संलिप्त, मुब्तिला हैं । (पाखण्ड करते भारती?)
अब तो बड़ी मुश्किल स्थिति है । मैं अपने को isolated और अकेला पाता हूँ। कोई नया चिंतन आ ही नहीं रहा। कोई सुनता ही नहीं, और मैं यह मान ही नहीं सकता कि मैं सम्पूर्णतः गलत हूँ। तो उस पर विचार तो होना चाहिए। मैं कहता हूँ धर्म को वैज्ञानिक बनाओ तो भाई कहते हैं धर्म अलग है, विज्ञान अपनी सीमा में रहे । तो यदि कहूँ राजनीति को वैज्ञानिक बनाओ तो भी कौन सुनेगा? इसी वाहियात राजनीति में सबको मज़ा जो आ रहा है। यह तो तब जब वैज्ञानिक समाजवाद जैसी विचारधारा उपलब्ध है और राजनीति को विश्वविद्यालयों में राजनीति विज्ञान के रूप में ही पढ़ाया जाता है ( उसमें विज्ञान कहाँ है?)!
तो ठीक है भाई, व्यक्ति अलग, समाज अलग, राज अलग, धर्म अलग, अध्यात्म अलग, सोच अलग कर्म अलग ही जिया जाय ! यही तो "पाखण्ड पार्टी" है !☺️ Join it friends !💐(छुद्रनाथ)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें