सोमवार, 7 नवंबर 2011

ईद मुबारक

* मेरा ख्याल है , यदि मैं देश को ईद [ उज्जुहा ] का मुबारकबाद ना भी दूँ , तो भी वह इसे ख़ुशी - ख़ुशी मना ले जायेगा | कुछ मजबूरियां तो राष्ट्रपति , प्रधान मंत्री , राज्यपालों , मुख्य मंत्रियों की होती हैं जो वे गाहे - बगाहे होली - दीवाली - शबे बारात वगौरह की शुभकामनाएं देते रहते हैं | #
* जो मैं सूरज की मानिंद ज्क्लता रहूँगा ,
वह चाँद है , बुझेगा नहीं तब तक |
[ रवि कुमार बाबुल , भड़ास ब्लॉग पर ] #
* क्या सचमुच भ्रष्टाचार देश की सबसे बड़ी समस्या है ? वह ऊपरी स्टारों पर ? ऊपर का पैसा तो ऊपर वाले वैसे भी खा जाते हैं | हम निचले स्तरों के भ्रष्टाचारों से पीड़ित हैं | और क्या हमारी अन्य समस्याएं नहीं हैं ? अन्ना का लोकपाल क्या पानी में मिलाना रोक देगा , वाटर सप्लाई में कीचड़ आना बंद करा देगा ? वह कुछ भी करेगा तो शिकायत मिलने पर ही न ? शिकायत कौन करेगा ? अभी तो उनकी नियुक्ति होगी , वही संदिग्ध है | कहाँ से मिलेंगे इतने दूध के धुले , और दूध भी तो वही होगा जैसे हमने ऊपर वर्णित किया ? फिर , उनकी नियुक्ति में भी घपला अवश्यम्भावी है | उस पर मुक़दमेबाजी होगी \ बरसों लगेंगे फैसले आने में | तब वे सर्वोच्च न्यायालय जायेंगे | उनका इन्फ्रा स्ट्रक्चर बनेगा | अमला तैयार होगा | तब तक तो हम ६५ से ९५ हो जायेंगे | व्यक्ति की आत्मा को कोई भी कानून नहीं बाँध पायेगा | और उस आत्मा को ईमानदार बनाने के लिए कोई साहित्यकार - पत्रकार , साधू संत , अन्ना -मन्ना , काम नहीं कर रहे हैं | #
* आखिर अंततः करना आपको भी राजनीति ही है ! तो फिर यह साहित्य , संस्कृति , अध्यात्म , धर्म , योग इत्यादि की बातें क्यों कर रहे हैं ? सीधे अपने मंतव्य पर आइये | #
* उत्तराखंड का लोकपाल बिल अन्ना टीम को इसलिए भी पसंद है क्योंकि उसमे गैर सरकारी संगठनों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है , और मुख्य मंत्री को अन्दर |
* रिटायर्ड जजों से अन्ना अपनी जांच करा रहे हैं , जैसे प्राइवेट डाक्टरों से अपने स्वास्थ्य की जांच | अब खुद मुजरिम , अपने ही वकील , अपना ही मुंसिफ है | फैसला किसे नहीं पता ? वे सत्य वादी हैं तो अपना जुर्म कुबूल क्यों नहीं कर लेते ? अपने पाप स्वीकार क्यों नहीं करते , जो की उन्हें भली - भाँति ज्ञात हैं ? इतने नाटक क्यों करते हैं ?
* हम वह लोग हैं जो यह मानते हैं कि भगवान का भजन [ लक्ष्य का प्रणयन ] ज्यादा प्रभावी तरीके से भूखे रहकर ही किया जा सकता है , लगभग निराजल व्रत की तरह | तभी भजन का सार्थक फल - फूल मिलता है | वर्ना भूख का क्या ? उसका तो पेट कभी नहीं भरता | #
########ईद मुबारक

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