ईश्वर भी मनुष्य का एक आविष्कार है?
हाँ अवश्य ! शायद इसीलिए हमें अपने आविष्कार के साथ जीना सीखना चाहिए, कलात्मक/साहित्यिक तरीके से । वह अब ऊपर नहीं, इसी दुनिया का नागरिक हो गया है । मानव संसाधन के रूप में उसका सदुपयोग किया जाना चाहिए और एक दुश्मन मानकर उसके हाथों खिलौना बनने से बचना चाहिए ।
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