आप जानते हैं आप आस्तिक क्यों हैं? ईश्वर को क्यों मानते हैं, उसकी पूजा आरती करते हैं?
क्योंकि आपको यही बताया गया है कि कोई ईश्वर है जिसने दुनिया बनाई, वह बहुत ताक़तवर है, वह उपासना से खुश होता है । वह आपको कुछ भी सामान वरदान दे सकता है । और यह भी कि आपके, दुनिया के कष्ट निवारण के लिए वह अवतार लेता है/ लेगा ।
मेरे भाई, यह आपको बिल्कुल गलत और सरासर झूठ बताया गया , जिस पर आप विश्वास करते हो ।
ज्ञान विज्ञान के आदेश पर अब हम आपको बताते हैं कि कहीं कोई ईश्वर, इस सृष्टि का कोई व्यक्ति-निर्माता नहीं है । इसके पूजा पाठ से कोई फायदा नहीं है । जो भी होगा आपके कर्मों से होगा ।
अतः आज ही से किसी पारलौकिक शक्ति पर विश्वास और भरोसा मत करो ।
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शनिवार, 26 जनवरी 2019
बताया गया
क़ैद ईश्वर
कविता
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मनुष्य शिखर पर
ईश्वर मंदिर में पड़ा
सोचता है -
मनुष्य से कैसे मिलूँ ?
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(उग्रनाथ नागरिक)
गुरुवार, 17 जनवरी 2019
आज़ाद औरतें
कविता
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वह सती होती थीं
अपनी इच्छानुसार
अपने पति के प्रेमवश ।
वह नक़ाब पहनती हैं
अपनी पसंद से
किसी के कहने
किसी के दबाव में नहीं ।
वह शादी करती हैं
विवाह क़ुबूल करती हैं
अपनी पूरी सहमति के साथ ।
वह रसोई में जल जाती हैं
अपनी असावधानी से
कोई उन्हें जलाता नहीं ।
यहाँ तक कि वह
बलात्कार को बुलाने
आमंत्रण देने
देर रात सफ़र करती
घर से निकलतीं
आती जाती हैं
सब अपने मन से ।
हमारी स्त्रियाँ पूरी स्वतंत्र हैं
आत्मनिर्भर, स्वावलंबी ।
क्या आपको अब भी
बात समझ नहीं आती ?
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-- उग्रनाथ नागरिक
बुधवार, 16 जनवरी 2019
क्या तीर
ईश्वर नहीं है, तो हमने नहीं माना । इसमें कौन सा तीर मार लिया हमने ?
ईश्वर होता और हम न मानते तब आप हमारी पीठ थपथपाते !
मंगलवार, 15 जनवरी 2019
अति
अति सर्वत्र वर्जयेत नहीं होना चाहिए ।
अतिचिन्तन से अधिक ज्ञान और बड़े निष्कर्ष प्राप्त होते हैं ।
रविवार, 13 जनवरी 2019
शनिवार, 12 जनवरी 2019
बुधवार, 9 जनवरी 2019
अविष्कार ?
ईश्वर भी मनुष्य का एक आविष्कार है?
हाँ अवश्य ! शायद इसीलिए हमें अपने आविष्कार के साथ जीना सीखना चाहिए, कलात्मक/साहित्यिक तरीके से । वह अब ऊपर नहीं, इसी दुनिया का नागरिक हो गया है । मानव संसाधन के रूप में उसका सदुपयोग किया जाना चाहिए और एक दुश्मन मानकर उसके हाथों खिलौना बनने से बचना चाहिए ।