उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शनिवार, 15 दिसंबर 2018
शोषण के खिलाफ़
मैं यह कहना चाह रहा था कि अगर ईश्वर और धर्म शोषण के औजार हैं तो कम्युनिस्ट जन ईश्वर और धर्म का खुला विरोध क्यों नहीं करते ? केवल पूँजीवाद ही उनकी ज़ुबान पर क्यों रहे ?
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