मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

साथी संगठन

कम्युनिज़्म भी एक सांस्कृतिक विचारधारा है ।
तो जिस प्रकार RSS बिना राजनीतिक ताक़त के राजनीति में इतना प्रभाव जमा सकता है, मार्क्सवाद भी बिना चुनाव लड़े सशक्त क्यों नहीं हो सकता ?
ज़रूरत है तो वही संघ वाली निष्ठा की !

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