* मन तो हुआ
इतना वैज्ञानिक
तन छूटा रे !
मना न करो
रंगदारी देने से
मारे जाओगे !
क्या कर लोगे
क्या कर सकते हो
तुम अकेले ?
खुश रहो तो
मैं भी खुश रहूँगा
तुम्हारे साथ |
प्यार के साथ
थोड़ा मनोरंजन
सेक्स ही हाथ |
औरत मर्द
साथ साथ जियेंगे
साथ रहेंगे |
सफाई नहीं
सफाई का ढोंग तो
मेरे खून में |
बाप गरीब
महतारी गरीब
बेटा तो धनी !
भूल जाते जो
दुःख भरे वे दिन
दुःख पाते हैं !
मुझसे लिया
मेरे बेटे बेटी ने
केवल धन |
हाँ यकीनन
नहीं चाहता हूँ मैं
दुःख ही दुःख !
जान लीजिये
मूर्तियाँ भी व्यक्ति हैं
मान लीजिये ,
पागल कर देतीं
अपने भी प्रेम में !
अब क्या कहूँ
मुझे हो क्या गया है
मुझे क्या पता !
यह आदमी
है ही इस लायक
कि मारा जाए !
सबका हाल
बस एक हवाल
मुसद्दी लाल |
सारे संकट ,
परेशानी की जड़
है यह बुद्धि !
प्रेम करता
बावजूद इसके
वह अंधी है !
हो सकता है
हो क्यों नहीं सकता
बिल्कुल होगा !
थोड़ी ही सही
इज्ज़त हो तो सही
उन सबकी !
सदा सर्वदा
कुछ बाकी रहेगा
अपरिचय !
मैंने बहुत
कम जगह ली है
धरती माँ की !
न कोई चाह
न कोई अभिलाषा
जीवन सुखी |
अपना काम
करते रहना है
कुछ हो न हो !
धर्म के लिए
ज़िंदगी न लो, न दो
जान जहान |
मेरा इशारा
ऊपर की ओर है ,
कौन है वहाँ ?
मुक्त होकर
फिर मैं तुम्हारे ही
गले लगूंगा !
बोलती बंद /
लोगों का व्यवहार /
परखता मैं |
कुछ सच है /
पूरे प्रकरण में
कुछ झूठ है |
जब वह शै /
मेरे भाग्य में नहीं /
पीछे क्यों भागें ?
सटीक बातें /
सही समय पर /
जुबां न आतीं |
चाहते भी हैं /
नहीं भी चाहते /
बीच झूलते |
चल रहा है /
थोड़ा ऊँचा या नीचा /
सबका काम |
सच पूछो तो /
जो हो रहा है, सब /
अमानवीय |
पैसा चाहिए !
तो कितना चाहिए ?
बताओ सही ।
एक गौरैया /
बैठी जो डाल पर /
झुकी है शाख़ |
कहाँ पहुँचे ?
पता नहीं कहाँ से ?
चल रहे हैं |
चित्त भूमि की /
खेती करता हूँ मैं /
यही संस्कृति |
मेरे जुड़ाव /
नहीं छोड़ते मुझे /
गाँव देश से |
कुछ सत्य है /
हर किसी के पास /
कुछ झूठ हैं |
आप बुलाएँ /
न आऊँ तो कहिये /
बुलाइए तो |
विद्या ददाति /
विनय - समन्वयं /
सर्व समानं |
बन गये हैं /
पत्थरों के ईश्वर /
अक्ल पत्थर |
विश्वास रखो
अगर विश्वास है
हें हें न करो !
लौट के बुद्धू
कहाँ कहाँ होकर
घर को आये |
* * * *
इतना वैज्ञानिक
तन छूटा रे !
मना न करो
रंगदारी देने से
मारे जाओगे !
क्या कर लोगे
क्या कर सकते हो
तुम अकेले ?
खुश रहो तो
मैं भी खुश रहूँगा
तुम्हारे साथ |
प्यार के साथ
थोड़ा मनोरंजन
सेक्स ही हाथ |
औरत मर्द
साथ साथ जियेंगे
साथ रहेंगे |
सफाई नहीं
सफाई का ढोंग तो
मेरे खून में |
बाप गरीब
महतारी गरीब
बेटा तो धनी !
भूल जाते जो
दुःख भरे वे दिन
दुःख पाते हैं !
मुझसे लिया
मेरे बेटे बेटी ने
केवल धन |
हाँ यकीनन
नहीं चाहता हूँ मैं
दुःख ही दुःख !
जान लीजिये
मूर्तियाँ भी व्यक्ति हैं
मान लीजिये ,
पागल कर देतीं
अपने भी प्रेम में !
अब क्या कहूँ
मुझे हो क्या गया है
मुझे क्या पता !
यह आदमी
है ही इस लायक
कि मारा जाए !
सबका हाल
बस एक हवाल
मुसद्दी लाल |
सारे संकट ,
परेशानी की जड़
है यह बुद्धि !
प्रेम करता
बावजूद इसके
वह अंधी है !
हो सकता है
हो क्यों नहीं सकता
बिल्कुल होगा !
थोड़ी ही सही
इज्ज़त हो तो सही
उन सबकी !
सदा सर्वदा
कुछ बाकी रहेगा
अपरिचय !
मैंने बहुत
कम जगह ली है
धरती माँ की !
न कोई चाह
न कोई अभिलाषा
जीवन सुखी |
अपना काम
करते रहना है
कुछ हो न हो !
धर्म के लिए
ज़िंदगी न लो, न दो
जान जहान |
मेरा इशारा
ऊपर की ओर है ,
कौन है वहाँ ?
मुक्त होकर
फिर मैं तुम्हारे ही
गले लगूंगा !
बोलती बंद /
लोगों का व्यवहार /
परखता मैं |
कुछ सच है /
पूरे प्रकरण में
कुछ झूठ है |
जब वह शै /
मेरे भाग्य में नहीं /
पीछे क्यों भागें ?
सटीक बातें /
सही समय पर /
जुबां न आतीं |
चाहते भी हैं /
नहीं भी चाहते /
बीच झूलते |
चल रहा है /
थोड़ा ऊँचा या नीचा /
सबका काम |
सच पूछो तो /
जो हो रहा है, सब /
अमानवीय |
पैसा चाहिए !
तो कितना चाहिए ?
बताओ सही ।
एक गौरैया /
बैठी जो डाल पर /
झुकी है शाख़ |
कहाँ पहुँचे ?
पता नहीं कहाँ से ?
चल रहे हैं |
चित्त भूमि की /
खेती करता हूँ मैं /
यही संस्कृति |
मेरे जुड़ाव /
नहीं छोड़ते मुझे /
गाँव देश से |
कुछ सत्य है /
हर किसी के पास /
कुछ झूठ हैं |
आप बुलाएँ /
न आऊँ तो कहिये /
बुलाइए तो |
विद्या ददाति /
विनय - समन्वयं /
सर्व समानं |
बन गये हैं /
पत्थरों के ईश्वर /
अक्ल पत्थर |
विश्वास रखो
अगर विश्वास है
हें हें न करो !
लौट के बुद्धू
कहाँ कहाँ होकर
घर को आये |
* * * *
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