[ नागरिक पत्रिका ] = 24 जुलाई से - - 31 जुलाई 2014 = कुछ विचार
* ज़रूरत :- स्वास्थ्य के लिए निश्चय ही दवाएं , टॉनिक वगैरह आदमी की ज़रूरतें हैं | उसी प्रकार , असंभव नहीं कि पूजा - पाठ , पाखंड , उत्सव भी इंसान की ज़रूरत हो ! बस समझने की बात यह है कि दवा लेने वाला यह जाने तो कि वह बीमार है ! टॉनिक पीने वाला यह माने तो कि वह कमजोर है !
* अद्भुत विडम्बना है कि अत्यंत संवेदनशील , मनुष्य के प्रति करुणावान , मानवता के प्रेमी आध्यात्मिक अभिरुचि वाले लोग ही अंततः विश्व , प्रकृति , और ईश्वर कि सेवा में नास्तिक हो जाते हैं !
* ( कविता नुमा )
बिना विनम्र बने
कैसे सफल होगे ?
बिना घुटने कुछ मोड़े
दौड़ना तो दूर ,
चलोगे ही कैसे
तने हुए पाँव लिए ?
कैसे मंजिल प्राप्त करोगे ?
शिखर पर चढ़ोगे कैसे ?
कैसे बिना शीश झुकाए
देखोगे मुझको ?
देखो मैं कितना
छोटा तो हूँ तुमसे !
अहंकार में |
* ज़रूरत :- स्वास्थ्य के लिए निश्चय ही दवाएं , टॉनिक वगैरह आदमी की ज़रूरतें हैं | उसी प्रकार , असंभव नहीं कि पूजा - पाठ , पाखंड , उत्सव भी इंसान की ज़रूरत हो ! बस समझने की बात यह है कि दवा लेने वाला यह जाने तो कि वह बीमार है ! टॉनिक पीने वाला यह माने तो कि वह कमजोर है !
* अद्भुत विडम्बना है कि अत्यंत संवेदनशील , मनुष्य के प्रति करुणावान , मानवता के प्रेमी आध्यात्मिक अभिरुचि वाले लोग ही अंततः विश्व , प्रकृति , और ईश्वर कि सेवा में नास्तिक हो जाते हैं !
* ( कविता नुमा )
बिना विनम्र बने
कैसे सफल होगे ?
बिना घुटने कुछ मोड़े
दौड़ना तो दूर ,
चलोगे ही कैसे
तने हुए पाँव लिए ?
कैसे मंजिल प्राप्त करोगे ?
शिखर पर चढ़ोगे कैसे ?
कैसे बिना शीश झुकाए
देखोगे मुझको ?
देखो मैं कितना
छोटा तो हूँ तुमसे !
अहंकार में |
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* विश्वास रखो
अगर विश्वास है
हें हें न करो !
* विश्वास रखो
अगर विश्वास है
हें हें न करो !
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