उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शुक्रवार, 11 नवंबर 2011
गुरुवार, 10 नवंबर 2011
पागल खाना
* अभी तो नहीं , लेकिन जिस तरह अन्ना टीम सोते जागते रात- दिन जन लोकपाल बिल -जन लोकपाल बिल बडबडारही है , एक दिन उनकी समर्थक जनता ही उन्हें पागल करार दे देगी । #
* जन लोकपाल भजन
हे लोकपाल , जन लोकपाल !
रहना तुम हम सब पर कृपाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
हम तेरे चक्र के अन्दर हैं ,
हे चक्र सुदर्शन हो निहाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
सोने से पहले लोकपाल,
जगने पर पहले लोकपाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
हर दिवस -रात , हर सुबह -शाम ,
हम अविरल करते जाप माल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
हम टीम बना किर्तन करते
अब तो है इज्ज़त का सवाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
हम तेरे सेवक टीम अना ,
रखना हम पर अपना ख्याल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
भजती अन्ना की टीम तुझे ,
भजते हैं नीम हकीम लाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
सरकार मान ही नहीं रही ,
हमको है अतिशय ही मलाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल ! ####
* जन लोकपाल भजन
हे लोकपाल , जन लोकपाल !
रहना तुम हम सब पर कृपाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
हम तेरे चक्र के अन्दर हैं ,
हे चक्र सुदर्शन हो निहाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
सोने से पहले लोकपाल,
जगने पर पहले लोकपाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
हर दिवस -रात , हर सुबह -शाम ,
हम अविरल करते जाप माल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
हम टीम बना किर्तन करते
अब तो है इज्ज़त का सवाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
हम तेरे सेवक टीम अना ,
रखना हम पर अपना ख्याल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
भजती अन्ना की टीम तुझे ,
भजते हैं नीम हकीम लाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल !
सरकार मान ही नहीं रही ,
हमको है अतिशय ही मलाल । हे लोकपाल , जन लोकपाल ! ####
हराम क्या है
* मैं अपने बच्चों की आरजूओं का क़त्ल होते न देख पाया , मैं जानता था कि जिंदगी में हराम क्या है , हलाल क्या है । [ मो वासिफ फ़ारूकी ]
सोमवार, 7 नवंबर 2011
ईद मुबारक
* मेरा ख्याल है , यदि मैं देश को ईद [ उज्जुहा ] का मुबारकबाद ना भी दूँ , तो भी वह इसे ख़ुशी - ख़ुशी मना ले जायेगा | कुछ मजबूरियां तो राष्ट्रपति , प्रधान मंत्री , राज्यपालों , मुख्य मंत्रियों की होती हैं जो वे गाहे - बगाहे होली - दीवाली - शबे बारात वगौरह की शुभकामनाएं देते रहते हैं | #
* जो मैं सूरज की मानिंद ज्क्लता रहूँगा ,
वह चाँद है , बुझेगा नहीं तब तक |
[ रवि कुमार बाबुल , भड़ास ब्लॉग पर ] #
* क्या सचमुच भ्रष्टाचार देश की सबसे बड़ी समस्या है ? वह ऊपरी स्टारों पर ? ऊपर का पैसा तो ऊपर वाले वैसे भी खा जाते हैं | हम निचले स्तरों के भ्रष्टाचारों से पीड़ित हैं | और क्या हमारी अन्य समस्याएं नहीं हैं ? अन्ना का लोकपाल क्या पानी में मिलाना रोक देगा , वाटर सप्लाई में कीचड़ आना बंद करा देगा ? वह कुछ भी करेगा तो शिकायत मिलने पर ही न ? शिकायत कौन करेगा ? अभी तो उनकी नियुक्ति होगी , वही संदिग्ध है | कहाँ से मिलेंगे इतने दूध के धुले , और दूध भी तो वही होगा जैसे हमने ऊपर वर्णित किया ? फिर , उनकी नियुक्ति में भी घपला अवश्यम्भावी है | उस पर मुक़दमेबाजी होगी \ बरसों लगेंगे फैसले आने में | तब वे सर्वोच्च न्यायालय जायेंगे | उनका इन्फ्रा स्ट्रक्चर बनेगा | अमला तैयार होगा | तब तक तो हम ६५ से ९५ हो जायेंगे | व्यक्ति की आत्मा को कोई भी कानून नहीं बाँध पायेगा | और उस आत्मा को ईमानदार बनाने के लिए कोई साहित्यकार - पत्रकार , साधू संत , अन्ना -मन्ना , काम नहीं कर रहे हैं | #
* आखिर अंततः करना आपको भी राजनीति ही है ! तो फिर यह साहित्य , संस्कृति , अध्यात्म , धर्म , योग इत्यादि की बातें क्यों कर रहे हैं ? सीधे अपने मंतव्य पर आइये | #
* उत्तराखंड का लोकपाल बिल अन्ना टीम को इसलिए भी पसंद है क्योंकि उसमे गैर सरकारी संगठनों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है , और मुख्य मंत्री को अन्दर |
* रिटायर्ड जजों से अन्ना अपनी जांच करा रहे हैं , जैसे प्राइवेट डाक्टरों से अपने स्वास्थ्य की जांच | अब खुद मुजरिम , अपने ही वकील , अपना ही मुंसिफ है | फैसला किसे नहीं पता ? वे सत्य वादी हैं तो अपना जुर्म कुबूल क्यों नहीं कर लेते ? अपने पाप स्वीकार क्यों नहीं करते , जो की उन्हें भली - भाँति ज्ञात हैं ? इतने नाटक क्यों करते हैं ?
* हम वह लोग हैं जो यह मानते हैं कि भगवान का भजन [ लक्ष्य का प्रणयन ] ज्यादा प्रभावी तरीके से भूखे रहकर ही किया जा सकता है , लगभग निराजल व्रत की तरह | तभी भजन का सार्थक फल - फूल मिलता है | वर्ना भूख का क्या ? उसका तो पेट कभी नहीं भरता | #
########ईद मुबारक
* जो मैं सूरज की मानिंद ज्क्लता रहूँगा ,
वह चाँद है , बुझेगा नहीं तब तक |
[ रवि कुमार बाबुल , भड़ास ब्लॉग पर ] #
* क्या सचमुच भ्रष्टाचार देश की सबसे बड़ी समस्या है ? वह ऊपरी स्टारों पर ? ऊपर का पैसा तो ऊपर वाले वैसे भी खा जाते हैं | हम निचले स्तरों के भ्रष्टाचारों से पीड़ित हैं | और क्या हमारी अन्य समस्याएं नहीं हैं ? अन्ना का लोकपाल क्या पानी में मिलाना रोक देगा , वाटर सप्लाई में कीचड़ आना बंद करा देगा ? वह कुछ भी करेगा तो शिकायत मिलने पर ही न ? शिकायत कौन करेगा ? अभी तो उनकी नियुक्ति होगी , वही संदिग्ध है | कहाँ से मिलेंगे इतने दूध के धुले , और दूध भी तो वही होगा जैसे हमने ऊपर वर्णित किया ? फिर , उनकी नियुक्ति में भी घपला अवश्यम्भावी है | उस पर मुक़दमेबाजी होगी \ बरसों लगेंगे फैसले आने में | तब वे सर्वोच्च न्यायालय जायेंगे | उनका इन्फ्रा स्ट्रक्चर बनेगा | अमला तैयार होगा | तब तक तो हम ६५ से ९५ हो जायेंगे | व्यक्ति की आत्मा को कोई भी कानून नहीं बाँध पायेगा | और उस आत्मा को ईमानदार बनाने के लिए कोई साहित्यकार - पत्रकार , साधू संत , अन्ना -मन्ना , काम नहीं कर रहे हैं | #
* आखिर अंततः करना आपको भी राजनीति ही है ! तो फिर यह साहित्य , संस्कृति , अध्यात्म , धर्म , योग इत्यादि की बातें क्यों कर रहे हैं ? सीधे अपने मंतव्य पर आइये | #
* उत्तराखंड का लोकपाल बिल अन्ना टीम को इसलिए भी पसंद है क्योंकि उसमे गैर सरकारी संगठनों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है , और मुख्य मंत्री को अन्दर |
* रिटायर्ड जजों से अन्ना अपनी जांच करा रहे हैं , जैसे प्राइवेट डाक्टरों से अपने स्वास्थ्य की जांच | अब खुद मुजरिम , अपने ही वकील , अपना ही मुंसिफ है | फैसला किसे नहीं पता ? वे सत्य वादी हैं तो अपना जुर्म कुबूल क्यों नहीं कर लेते ? अपने पाप स्वीकार क्यों नहीं करते , जो की उन्हें भली - भाँति ज्ञात हैं ? इतने नाटक क्यों करते हैं ?
* हम वह लोग हैं जो यह मानते हैं कि भगवान का भजन [ लक्ष्य का प्रणयन ] ज्यादा प्रभावी तरीके से भूखे रहकर ही किया जा सकता है , लगभग निराजल व्रत की तरह | तभी भजन का सार्थक फल - फूल मिलता है | वर्ना भूख का क्या ? उसका तो पेट कभी नहीं भरता | #
########ईद मुबारक
रविवार, 6 नवंबर 2011
भ्रष्टाचार की परिभाषा
* भ्रष्टाचार की परिभाषा होते होते यहाँ आ पंहुची है कि जो जन लोकपाल बिल पास कराये वह ईमानदार , और जो जन लोकपाल बिल पास होने में आनाकानी करे वह महाभ्रष्ट | जन लोकपाल भ्रष्टाचार का पर्याय हो गया है | अजीब विडम्बना की स्थिति है दार्शनिक हिंदुस्तान के लिए | शब्दों और समस्याओं कि इतनी हलकी व्याख्या इसके पहले नहीं होती थी | तो यह है हमारी असली प्रगति !
* केजरीवाल ने आय कर विभाग की नोटिस पर ९ लाख रु का चेक प्रधान मंत्री के पास भेज दिया है | क्या कोई साधारण समझदार नागरिक ऐसी बद तमीजी कर सकता है ? क्या बिजली का बकाया आप जल निगम में जमा कर सकते हैं | मैं इसके व्यवहार को देखकर हतप्रभ हूँ , कि आखिर यह लड़का अपने आप को समझता क्या है ? अन्ना संविधान से ऊपर , तो उनसे पहले श्रीमान जी संविधान से ऊपर ! अभी वह फोन टेपिंग का मसला उठा रहा है | उद्देश्य कुछ नहीं , सिर्फ यह जाताना कि देखो मैं इतना महत्त्वपूर्ण हूँ | और नहीं तो क्या ? अभी तो जूता और काले झंडे दिखाए गए हैं , आगे आगे देखिये क्या होता है ! उन्हें राजनीतिक विरोधी कहकर न टालिए राजनेताओं की तरह | वे उसी सौ करोड़ जनता के अंग हैं , जिनकी तरफ से आन्दोलन चलाने का तुम दावा ठोंकते हो |
इसीलिये मैं इन लोगों के दिखावे के मुद्दे से प्रभावित न होने और इनके असली मंतव्य को पहचानने और उसे धूल में मिलाने का आग्रह जनता जनार्दन से करता रहता हूँ | कुछ लोग इसे समझने से इंकार करके मुझ पर नाराज़ होते हैं , वह तो क्षम्य है | पर खेद है कि अन्ना महाशय भी इसे नहीं समझ रहे हैं , और अपनी तात्कालिक ख्याति , प्रशंसा और प्रचार की लालच में टीम की गिरफ्त में आते जा रहे हैं | वे नहीं समझते कि जब पोले खुलेगा , [ब्लॉगर विवाद से वह सामने आना शुरू भी हो गया है ] , और लोक की नज़रों में आसमान से गिरेंगे , तो उनका धवल वस्त्र मटियामेट हो जायगा | उनकी चांदनी चार दिनों से ज्यादा नहीं है | वे गौर करें कि यही कारण है कि अन्ना के अलावा उनकी टीम के अन्य सदस्य रंगीन कपड़े पहनते हैं , और वे उनके साथ अन्न त्याग कर अपना स्वास्थ्य ख़राब नहीं करते | दिग्विजय सिंह उनके विरोधी सही , पर निंदक को भी अपने नज़दीक रखना भारतीय जीवन शास्त्र में बड़ा ज़रूरी माना गया है | #
* मेरा प्रस्ताव है कि अन्ना टीम से यह लिखित शपथ पत्र ले लिया जाय कि वे स्वयं लोकपाल बनने के प्रत्याशी नहीं होंगे , जिससे हम जनता का उन पर अविश्वास कुछ कम हो , और उन पर थोड़ा विश्वास आये कि वे इतना उछाल कूद अपने निहित स्वार्थ के लिए नहीं , बल्कि जनहित में कर रहे हैं | वैसे भी ये लोग अपने अभी ही के भ्रष्टाचारों के कारण उस पद के काबिल नहीं रह गए हैं | #
* कहा और समझा यह जाता है कि जो अन्ना के साथ नहीं है वह भ्रष्ट है | ऐसी रणनीति ही बनायीं है इस टीम ने , इसीलिये यह प्राथमिक तौर पर इतना सफल भी हुआ | लेकिन दर असल हकीक़त इसके पलट है | सारे भ्रष्टाचारी अन्ना टीम में हैं या इनके आन्दोलन में हैं | जो समझदार नैतिक जन हैं वे इनसे दूर हैं इनका छल समझकर , या समर्थन में भी हैं तो कुछ आपत्तियों के साथ |#
* केजरीवाल ने आय कर विभाग की नोटिस पर ९ लाख रु का चेक प्रधान मंत्री के पास भेज दिया है | क्या कोई साधारण समझदार नागरिक ऐसी बद तमीजी कर सकता है ? क्या बिजली का बकाया आप जल निगम में जमा कर सकते हैं | मैं इसके व्यवहार को देखकर हतप्रभ हूँ , कि आखिर यह लड़का अपने आप को समझता क्या है ? अन्ना संविधान से ऊपर , तो उनसे पहले श्रीमान जी संविधान से ऊपर ! अभी वह फोन टेपिंग का मसला उठा रहा है | उद्देश्य कुछ नहीं , सिर्फ यह जाताना कि देखो मैं इतना महत्त्वपूर्ण हूँ | और नहीं तो क्या ? अभी तो जूता और काले झंडे दिखाए गए हैं , आगे आगे देखिये क्या होता है ! उन्हें राजनीतिक विरोधी कहकर न टालिए राजनेताओं की तरह | वे उसी सौ करोड़ जनता के अंग हैं , जिनकी तरफ से आन्दोलन चलाने का तुम दावा ठोंकते हो |
इसीलिये मैं इन लोगों के दिखावे के मुद्दे से प्रभावित न होने और इनके असली मंतव्य को पहचानने और उसे धूल में मिलाने का आग्रह जनता जनार्दन से करता रहता हूँ | कुछ लोग इसे समझने से इंकार करके मुझ पर नाराज़ होते हैं , वह तो क्षम्य है | पर खेद है कि अन्ना महाशय भी इसे नहीं समझ रहे हैं , और अपनी तात्कालिक ख्याति , प्रशंसा और प्रचार की लालच में टीम की गिरफ्त में आते जा रहे हैं | वे नहीं समझते कि जब पोले खुलेगा , [ब्लॉगर विवाद से वह सामने आना शुरू भी हो गया है ] , और लोक की नज़रों में आसमान से गिरेंगे , तो उनका धवल वस्त्र मटियामेट हो जायगा | उनकी चांदनी चार दिनों से ज्यादा नहीं है | वे गौर करें कि यही कारण है कि अन्ना के अलावा उनकी टीम के अन्य सदस्य रंगीन कपड़े पहनते हैं , और वे उनके साथ अन्न त्याग कर अपना स्वास्थ्य ख़राब नहीं करते | दिग्विजय सिंह उनके विरोधी सही , पर निंदक को भी अपने नज़दीक रखना भारतीय जीवन शास्त्र में बड़ा ज़रूरी माना गया है | #
* मेरा प्रस्ताव है कि अन्ना टीम से यह लिखित शपथ पत्र ले लिया जाय कि वे स्वयं लोकपाल बनने के प्रत्याशी नहीं होंगे , जिससे हम जनता का उन पर अविश्वास कुछ कम हो , और उन पर थोड़ा विश्वास आये कि वे इतना उछाल कूद अपने निहित स्वार्थ के लिए नहीं , बल्कि जनहित में कर रहे हैं | वैसे भी ये लोग अपने अभी ही के भ्रष्टाचारों के कारण उस पद के काबिल नहीं रह गए हैं | #
* कहा और समझा यह जाता है कि जो अन्ना के साथ नहीं है वह भ्रष्ट है | ऐसी रणनीति ही बनायीं है इस टीम ने , इसीलिये यह प्राथमिक तौर पर इतना सफल भी हुआ | लेकिन दर असल हकीक़त इसके पलट है | सारे भ्रष्टाचारी अन्ना टीम में हैं या इनके आन्दोलन में हैं | जो समझदार नैतिक जन हैं वे इनसे दूर हैं इनका छल समझकर , या समर्थन में भी हैं तो कुछ आपत्तियों के साथ |#
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