सोमवार, 3 मार्च 2014

[ नागरिक पत्रिका ] = एक जनवरी 2014 से - एक मार्च तक

* अरे कुहरे !
तू मत घबरा रे ,
अभी बस सूर्य
निकलने ही वाला है
और तुझे
छँट ही जाना होगा |
#  #

* जब कि कोहरा
पाँच फिट आगे
को भी दिखने न दे ,
दिख रहे तुम दूर
कोसों दूर से !
#   #

* शोक में हास्य
कठिन है निर्वाह
क्रोध में शान्ति !


* हालाँकि हम टोना टटका में विश्वास नहीं करते , बल्कि इनका विरोध ही करते हैं | लेकिन जो लोग इसे मानते हैं वे मान सकते हैं कि केजरीवाल की सफलता के पीछे एक टोटके का प्रभाव है / हो सकता है | आप भी गौर करें इनका नाम " लाल - बाल - पाल " से कितना मेल खाता है ? केजरीवाल ! अब भला इतने और ऐसे महान लोगों का सह - काफिया होने का कुछ लाभ यदि इन्हें मिले तो आश्चर्य क्या ?


मैं असंत हूँ " Non - Saints "
* ओशो की एक साधना पद्धति, ध्यान विधि है - ' मैं कौन हूँ ? ' | मैं यह तो नहीं जान पाया कि 'मैं कौन हूँ ? ' | लेकिन इस जानकारी पर अटका / पहुंचा तो हूँ कि मैं क्या / कौन नहीं हूँ | मैं संत नहीं हूँ | मैं डॉ कोवूर के ' Begone Godmen ' {दूर हटो , देवपुरुष !}का समर्थक हूँ | मैं देवपुरुष नहीं , देवतापन का विरोधी हूँ | मैं संत नहीं हूँ | मैं असंत हूँ और ऐसे ही " Non - Saints " ग्रुप में हूँ |

निःशुल्क निवास = मुफ्तावास
* आवश्यकता है एक वृद्ध Retd Engineer , साहित्यकार हेतु विश्वसनीय , सेवाभावी महिला की :)

* चलिए , विश्वास की ही बात हम भी करते हैं | तो विश्वास कीजिये ईश्वर जैसा कुछ नहीं हैं | अब तर्क तो मत कीजिये | अपनी बात पर कायम रहिये |

* तर्कातीत तो होना ही पड़ेगा | इसीलिए मैं तर्क की बात करता हूँ , उसका पक्ष लेता हूँ | तर्क करेंगे तभी तो तर्कातीत हो पायेंगे ! भाव विह्वलता इसका विकल्प नहीं है |

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