[ कविता ]
किसी का दोष मत दो
जातिवाद , धर्म - संप्रदाय के
दोषों के लिए , किसी व्यक्ति को
दोषी मत ठहराओ
न ब्राह्मण को , न मौलाना को ,
दोष न ब्राह्मणवाद का , न रूढ़िवाद का ,
सबके ज़िम्मेदार तुम हो
क्योंकि तुम इसे मानते हो ।
नहीं मानते , तो बस इतना कहो -
धार्मिक अलगाववाद बेमानी है ,
और साम्रदायिकता है ज़हर ,
ईश्वर का होना नहीं है सिद्ध ।
लेकिन इसके लिए
किसी अन्य को दोष मत दो ,
इससे व्यक्ति तो दोषी हो जायगा
मगर दोष बना रहेगा ।
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