आज थोड़ी फुर्सत में हूँ तो सहज ढंग से step by step क्रमबद्ध तरीके से एक बड़ा कार्यक्रम समझाता और आपके सामने रखता हूँ :-
*देखिये, सच पूछिए तो हम सब हैं प्राकृतिक श्रमिक । हमारा , हम सबका काम है श्रम और मेहनत मजदूरी । श्रम चाहे शारीरिक हो , वैचारिक या नैतिक । सब श्रम है ।
यह मैंने ठीक कहा या नहीं ? तब आगे चलें ।
* अब यदि भारतीय समझ और परिभाषा के अनुसार हमारा कर्तव्य हमारा धर्म है, तो " कर्म ही पूजा" की नीति के अनुसार हमारा असली, मूल धर्म का नाम बनता है - वही जो कर्तव्य हम करते हैं, मतलब "मजदूरी" !
यहाँ तक ठीक है ? तो आगे बढ़ते हैं ।
आगे यही कि कर्म ही पूजा / या कहें श्रम का पूजन तब सम्भव होगा , मेहनत का फल तभी ठीक से मिलेगा जब मेहनत का माहौल होगा, मेहनतकशों का राज होगा ।
वह कैसे होगा ?
वह होगा राजनीति से । सत्ता शासन के क्षेत्र राजनीति के अंतर्गत आता है । श्रम और श्रमिक कुशल अवस्था में रहें, इसके लिए श्रमिक को चाहना होगा कि राज्य निर्माण में रुचि लें और राजनीति को अपना कर्म बनाये ।
अगला step फिर वही । यदि राजनीति कर्म में आप उतरे तो राजनीति आपका धर्म हुआ ।
इस प्रकार हमारा धर्म हुआ "राजनीति" ! राजनीति से भागना नहीं । कोउ नृप होय से काम नहीं चलेगा, यह तो छोटी बात है, आपको ही नृप बनना होगा ।
यहाँ तक तो खींच ले गया ।
तो क्या अगली जनगणना में हम अपना धर्म राजनीति लिखाएँ ? होना तो यही चाहिए, सत्यनिष्ठा के साथ ।
तो ठीक है । बस एक थोड़ा सा मोड़ देना है और हम अपने गंतव्य पर ! ☺️
मोड़ शाब्दिक terminological है । यह अनुशासन न देंगे तो सब राजनीति और धर्म के विषयी लोग हमारी हँसी उड़ाएँगे - - यह देखो, राजनीति को धर्म बनाने चले हैं ?😊
हमने भी कच्ची गोली नहीं खेली है महाशय !
हमें पता है कि राजनीति का जो धार्मिक, धर्म विषयक, धर्म के क्षेत्र का पारिभाषिक शब्द नाम है - सेक्युलर ( SECULAR) . राजनीति का धर्म सम्बन्धी मामला या धर्मों का राजनीतिक खेल Secularism के अंतर्गत पढ़ा पढ़ाया जाता है ।
हम सब अपना धर्म एक स्वर में सेक्युलर लिखाएँ , बताएँगे । (बात खत्म)
- - - - - - - - - -- - - - - -
हम तो झूठ बोलते नहीं, न कोई छद्म पाखण्ड करते हैं । तो हम साफ कह रहे हैं कि हमारा धर्म ही राजनीति है । लेकिन अन्य हमारे सामने वाले ,देखिएगा कितना झूठ, लम्बा लम्बा हांकेंगे गौर कीजियेगा । कहेंगे , अरे हम तो अलां फलाँ धर्म वाले हैं । हमसे राजनीति से क्या मतलब ? सरासर झूठ ! सच्चाई तो हम जानते हैं कि धर्म वर्म कुछ नहीं सारा राजनीति है, या धर्म के नाम पर राजनीति करना इनका उद्देश्य है ।
फिर भी ठीक है। उनकी वह जानें । हम सेक्युलर तो करते हैं राजनीति - मानववाद, इहलौकिक दुनिया की राजनीति, मात्र जो वही मनुष्य का भविष्य सुधार सकती है । 👍👌💐
उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
मंगलवार, 17 सितंबर 2019
Secular Register
सदस्यता लें
संदेश (Atom)